मुलायम बोले, नहीं माने अखिलेश तो उनके खिलाफ चुनाव लड़ूंगा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सियासी घमासान के साथ साथ फैमिली ड्रामा भी चल रहा है। चुनाव की तारीखों का एलान हो चुका है। सत्ताधारी समाजवादी पार्टी में जारी कलह के कारण राज्य में मुकाबला दिलचस्प होता जा रहा है। दो खेमों में बंट चुकी सपा में सुलह की कोई उम्मीद नहीं दिखाई दे रहे हैं। अब बात चुनाव चिन्ह की है। चुनाव आयोग में मुलायम सिंह खेमा और अखिलेश यादव खेमे ने अपने अपने दावे ठोंक रखे हैं। आयोग को तय करना है कि साइकिल पर सवारी कौन करेगा। इन सबके बीच सपा प्रमुख मुलायम ने अपने बेटे अखिलेश को लेकर एक ऐसा बयान दिया है जिसने सारी तस्वीर साफ कर दी है। इस बयान ने उत्तर प्रदेश की धरती को हिला के रख दिया है। अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। चुनाव से पहले इस तरह का बयान देकर मुलायम ने कार्यकर्ताओं की दुविधा और वफादारी के संकट को खत्म करने की कोशिश की है।

लखनऊ में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए समाजवादी सुप्रीमों मुलायम सिंह ने कहा कि वो पार्टी को बचाने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वो पार्टी को बचाने के लिए जो कर सकते हैं वो करेंगे। अगर अखिलेश यादव मेरी बात नहीं समझते हैं तो मैं उनके खिलाफ भी लड़ने कौ तैयार हूं। इस बयान से एक बार को तो कार्यकर्ता हैरान हो गए। उन्हे समझ नहीं आया कि नेताजी क्या बोल गए। साफ है कि अब मुलायम और अखिलेश के बीच सुलह की सारी उम्मीदें खत्म हो गई हैं। इस बयान के साथ ही मुलायम ने कार्यकर्ताओं को संदेश दे दिया कि वो अपना वफादारी चुन लें। किसका समर्थन करना है और किसका नहीं ये भी तय कर लें। जो कार्यकर्ता अभी तक दुविधा में थे मुलायम का ये बयान उनके लिए एक इशारा है।

मुलायम सिंह ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि मैंने तीन बार अखिलेश यादव को बुलाया। वो केवल एक मिनट के लिए आए और बिना मेरी बात सुने लौट गए। मुलायम का ये बयान बताता है कि वो कितने निराश हो गए हैं। उनके बेटे अखिलेश उनकी बात ही नहीं सुनते हैं। साइकिल चुनाव चिन्ह को लेकर मुलायम सिंह ने चुनाव आयोग पर फैसला छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि आयोग जो भी फैसला करेगा वो मंजूर होगा। बता दें कि साइकिल को लेकर समाजवादी पार्टी के दोननों धड़े अपना अपना दावा कर रहे हैं। ऐसे में जानकारों के मुताबिक चुनाव आयोग साइकिल चुनाव चिन्ह को फ्रीज कर सकता है। अगर ऐसा होता है तो मुलायम और अखिलेश खेमे को नए चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ना होगा।

उत्तर प्रदेश की सियासत में दशकों तक मुलायम सिंह का प्रभाव रहा है। लेकिन अब वो अपने ही बेटे से हारते हुए दिखाई दे रहे हैं। कार्यकर्ताओं से कही गई उनकी बातों ने सारी तस्वीर पानी की तरह साफ कर दी है। वो ये मान चुके हैं कि बात उनके हाथ से निकल चुकी है। अब वो कह रहे हैं कि समाजवादी पार्टी को बचाने के लिए अगर बेटे से भी लड़ना पड़े तो वो लड़ने के लिए तैयार हैं। सवाल ये भी उठता है कि जिस तरह से अखिलेश यादव ने शक्ति प्रदर्शन किया था उस के बाद मुलायम के साथ बचे लोगों की संख्या काफी कम है। ऐसे में असली समाजवादी पार्टी कौन सी होगी अखिलेश की या फिर मुलायम सिंह यादव की। हालांकि रामगोपाल यादव का कहना है कि अखिलेश ही असली समाजवादी पार्टी हैं।

 

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