यूपी और उत्तराखंड के लिए 15 और 17 को प्रत्याशियों का बीजेपी करेगी ऐलान, शाह की बैठक में योगी हुए नाराज!

नई दिल्ली। भाजपा उत्तर प्रदेश के अलावा उत्तराखंड के लिए अपने उम्मीदवारों की सूची की घोषणा 15 और 17 जनवरी को करने को तैयार है। इन राज्यों में पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ संभावित नामों के चयन के लिए कई बैठकों में संवाद किया जा रहा है। उम्मीदवारों के नामों की घोषणा करने के लिए पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक रविवार और मंगलवार को होगी। इस समिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह शामिल हैं।

शाह ने कई बैठकें की हैं। इसमें से एक बैठक आज उनके आवास पर भी हुई। इसमें केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, कलराज मिश्र, उमा भारती के अलावा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य, पार्टी के प्रदेश मामलों के प्रभारी ओ पी माथुर और योगी आदित्यनाथ समेत उत्तर प्रदेश के शीर्ष नेता थे। यह बैठक उम्मीदवारों के नामों पर आम सहमति बनाने के प्रयासों के तहत बुलाई गई थी। गोरखपुर से लोकसभा सदस्य आदित्यनाथ के पार्टी नेतृत्व से खफा होने की खबरें हैं, लेकिन सूत्रों ने इसे महत्व नहीं दिया।

शाह उत्तर प्रदेश में पार्टी को जीत दिलाने के लिए सारे प्रयास कर रहे हैं। इस चुनाव का राजनैतिक प्रभाव शेष चार अन्य राज्यों के नतीजों से कहीं अधिक होगा। उत्तर प्रदेश में पार्टी 2002 से सत्ता से बाहर है और मोदी लहर में 2014 के लोकसभा चुनाव में 80 में से 71 सीटें जीतने से पहले तक उसकी ताकत घटती जा रही थी।

पार्टी सूत्रों का मानना है कि भगवा पार्टी के लिए 42 फीसदी से अधिक वोट हासिल करने के 2014 के अजूबे को उसके लिए दोहराना संभव नहीं होगा लेकिन 30 फीसदी से अधिक मत हासिल कर राज्य की खंडित राजनीति में विजेता बनकर उभरने की उम्मीद करती है। सपा और बसपा दोनों ने क्रमश: 2012 और 2007 के विधानसभा चुनावों में 30.4 और 29.16 फीसदी मत हासिल करके बहुमत हासिल किया। अगड़ी जातियों और बनिया समुदाय के अपने मुख्य मतदाताओं के अलावा उसने गैर यादव पिछड़ी जातियों और दलितों के एक हिस्से का समर्थन जुटाया है।

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और बसपा प्रमुख मायावती जैसे मजबूत क्षेत्रीय क्षत्रपों से चुनौती का सामना कर रही भाजपा ने राज्य में अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि मुलायम सिंह यादव-अखिलेश यादव और मायावती की तरह उसके किसी भी नेता की राज्यस्तर पर लोकप्रियता नहीं है।

 

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