यूपी के 18 विधायक भ्रष्टाचार में लिप्त, चुनाव प्रचार खर्च में केरल के विधायक सबसे आगे

नई दिल्ली। चुनावों के दौरान 11 राज्यों के विधायकों ने प्रचार सीमा की 50 फीसदी से अधिक रकम खर्च की जबकि केरल के विधायक इस मामले में 70.14 फीसदी खर्च कर सबसे आगे रहे। पिछले पांच साल (2013-2018) के दौरान जिन राज्यों में चुनाव हुए, वहां के विधायकों ने प्रचार के लिए सबसे ज्यादा वाहनों पर खर्च किए।

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और नेशनल इलेक्शन वॉच (न्यू) की हालिया रिपोर्ट में 11 राज्यों के मौजूदा 4,120 विधायकों में से 4,087 विधायकों के वोट शेयर और चुनाव प्रचार की खर्च राशि के आंकड़े जारी किए गए हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, केरल, त्रिपुरा, गुजरात, उत्तराखंड, मिजोरम, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, असम और बिहार के विधायकों ने चुनाव प्रचार की खर्च सीमा की 50 फीसदी से अधिक राशि खर्च की है। इसमें आंकड़े उपलब्ध नहीं होने के कारण मेघालय और कर्नाटक को शामिल नहीं किया गया है।

चुनाव प्रचार के लिए सर्वाधिक खर्च करने वाले राज्यवार विधायकों की बात करें तो केरल के बाद गुजरात के विधायकों ने तय सीमा की सबसे अधिक 58.7 फीसदी और उत्तराखंड के विधायकों ने 57.8 फीसदी रकम खर्च की। चुनावी खर्च का विश्लेषण करने पर देखा गया कि केरल के विधायकों ने औसतन 19.64 लाख रुपये खर्च किए। गुजरात के प्रत्येक विधायक पर खर्च की यह राशि 16.45 लाख रुपये और उत्तराखंड के प्रत्येक विधायक पर 16.19 लाख रुपये पाई गई।

भ्रष्टाचार में यूपी तीसरे स्थान पर 
जीते हुए 1,356 उम्मीदवारों पर आपराधिक मुकदमे दर्ज थे जिनमें से 128 विधायकों पर रिश्वतखोरी, चुनाव के दौरान अवैध भुगतान और गलत तरीके से प्रभावित करने के आरोप थे। इनमें बिहार के सर्वाधिक 38 विधायक दागी पाए गए जबकि कर्नाटक के 20 और उत्तर प्रदेश के 18 विधायक दागी निकले।

किसी दल या गठबंधन को 55 फीसदी से अधिक वोट शेयर नहीं
रिपोर्ट बताती है कि इन पांच सालों में सरकार बनाने वाले किसी भी दल या गठबंधन को 55 फीसदी से अधिक वोट नहीं मिले। अरुणाचल प्रदेश में सर्वाधिक 53.1 फीसदी जबकि झारखंड में सरकार बनाने वाले दल का वोट शेयर सबसे कम 31.2 फीसदी रहा। इसके अलावा गुजरात, त्रिपुरा, सिक्किम और हिमाचल प्रदेश में सरकार बनाने वाले दल या गठबंधन का ही 50 फीसदी से अधिक वोट शेयर रहा।

कितनी है खर्च सीमा 
चुनाव आयोग ने 2014 में लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा के उम्मीदवारों के लिए खर्च सीमा तय की थी। बड़े राज्यों में विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के लिए रकम 16 लाख रुपये से बढ़ाकर 28 लाख रुपये की गई थी। वहीं, छोटे राज्यों के लिए यह राशि 8 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये की गई थी।

मीडिया से प्रचार पर सबसे कम खर्च 
उम्मीदवारों ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से प्रचार पर सिर्फ 5 फीसदी रकम खर्च की।

 

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