रूस की ‘पेरिस हिल्टन’ देंगी व्लादिमीर पुतिन को कड़ी टक्कर?
अगले महीने रूस में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं. व्लादिमीर पुतिन अब तक रूस के 2 बार प्रधानमंत्री और 3 बार राष्ट्रपति बन चुके हैं. वो फिर इस बार राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बने हुए हैं. लेकिन इस बार उनके सामने एक बहुत ही अप्रत्याशित कैंडिडेट खड़ी हैं. रूस की पेरिस हिल्टन कही जाने वाली सीनिया सोबचैक इस बार रूस के राष्ट्रपति पद के चुनाव में लड़ रही हैं.
पुतिन का खुलेआम विरोध करती हैं सोबचैक
सीनिया रूस की मशहूर टीवी शख्सियत हैं और उन्हें पुतिन के विचारों का विरोधी माना जाता है. वो अकसर पुतिन का खुलेआम विरोध करती रहती हैं. लेकिन इस बार वो सीधे राष्ट्रपति के चुनाव में पुतिन का मुकाबला करने उतर रही हैं. क्या सोबचैक जीतेंगी? इस बात पर भरोसा तो खुद सोबचैक को भी नहीं है. वो कहती हैं कि वो पुतिन के अलावा लोगों के सामने बस एक लिबरल ऑप्शन रखना चाहती हैं. लेकिन उन्हें लगता है कि वोटों की धांधली पहले ही पुतिन के पक्ष में हो चुकी है.
सोबचैक ने इसी महीने अपने वॉशिंगटन दौरे के दौरान एक और कड़वी बात कही. उन्होंने कहा, ‘मेरे लिए ये चुनाव फर्जी हैं क्योंकि आप एक कसीनो में नहीं जीत सकते, हमेशा कसीनो ही जीतता है. इसी तरह आप पुतिन से नहीं जीत सकते, हमेशा पुतिन ही जीतते हैं.’
लेकिन सोबचैक और पुतिन का है पुराना रिश्ता
सोबचैक का पुतिन के विरोध में खड़ा होना बहुत दिलचस्प है क्योंकि सोबचैक के पिता एनातोली सोबचैक का पुतिन के साथ बहुत अच्छा रिश्ता रहा है. एनातोली सोबचैक सेंट पीटर्सबर्ग के मेयर थे. एक बार उनपर फंड के गलत इस्तेमाल का आरोप लगा था, तब पुतिन ने ही उनकी मदद की थी. इसके अलावा सीनिया सोबचैक पुतिन को अपने बचपन से देख रही हैं, पुतिन उनके बैपटिज्म में भी आए थे. लेकिन लगता है कि सीनिया विचारों को ज्यादा अहमियत देती हैं, इसलिए वो पुतिन के विचारधारा की मुखर विरोधी रही हैं.
लेकिन अब पुतिन और सोबचैक का ये पुराना रिश्ता सोबचैक की स्थिति को कमजोर कर रहा है. दरअसल चुनावी पंडितों और विशेषज्ञों की मानें तो सोबचैक पुतिन की ही मैनेजमेंट हैं यानी पुतिन के धड़े की ओर से ही सोबचैक को चुनाव में खड़ा किया गया है ताकि चुनावों में थोड़ी हलचल पैदा की जा सके, जिससे लोगों का ध्यान भटके और पुतिन के बाकी प्रतिद्वंदियों की उपेक्षा की जा सके.
लेकिन क्या सोबचैक की दावेदारी प्रोपगेंडा है?
प्राग के इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल रिलेशन्स के सीनियर रिसर्चर मार्क गैलेटी ने मास्को टाइम्स से कहा कि ‘ये बहुत साफ है. सोबचैक का इन चुनावों में खड़ा होना ये कोशिश है कि पुतिन का टर्नआउट रेट बढ़ाया जा सके और ये दिखाया जा सके कि ये बहुत ईमानदार और साफ-सुथरा इलेक्शन है.’
कुछ लोगों का मानना है कि इस बार तो सोबचैक जीतने से रहीं लेकिन वो 2024 के चुनावों में भी जरूर खड़ी होंगी और इस बार उनकी उम्मीदवारी 2024 तक काफी मजबूत हो जाएगी. हालांकि कुछ लोगों को लगता है कि सोबचैक 2024 में भी नहीं जीत पाएंगी लेकिन उनका विचार और उनके कैंपेन असर जरूर छोड़ेंगे क्योंकि वो रूस में उन मुद्दों पर बात कर रही हैं, जिनको बिल्कुल भी जरूरी नहीं समझा जाता. वो अपने कैंपेंस में एलजीबीटी समुदाया, राजनीतिक कैदियों और नारीवादी मुद्दों पर बात करती हैं.
रूस में जहां औरतों की स्थिति बहुत बुरी है, वहां एक औरत का राष्ट्रपति के पद पर खड़ा होना भी सामान्य होने में बहुत समय लेगा. लेकिन सीनिया शुरुआत कर चुकी हैं.
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