लखनऊ : वरिष्ठ कर्मचारी का वेतन कनिष्ठ कर्मचारी से कम किया जाना है दुर्भाग्यपूर्ण

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जे एन तिवारी ने वरिष्ठ कर्मचारी का वेतन कनिष्ठ कर्मचारी से कम करने के आदेश पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अवगत कराया है कि वरिष्ठ कर्मचारी का वेतन घटाया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।

शासन ने 29 सितंबर 2020 को एक साथ आदेश जारी कर एसीपी व्यवस्था के अंतर्गत पूर्व से चली आ रही परंपरा को समाप्त करते हुए वरिष्ठ कर्मचारी का वेतन कनिष्ठ के कर्मचारी से कम कर दिया है।

शासनादेश के हवाले से कहा गया है कि एसीपी व्यवस्था  से संबंधित 2014 के शासनादेश में जहां कहीं भी कनिष्ठ कर्मचारी को वरिष्ठ कर्मचारी से अधिक वेतन मिल रहा था, वहां कनिष्ठ कर्मचारी के वेतन के बराबर वरिष्ठ कर्मचारी को वेतन देने का आदेश था । परंतु अब शासन ने इस आदेश में संशोधन करते हुए वरिष्ठ कर्मचारी को कनिष्ठ कर्मचारी से कम वेतन देने का आदेश जारी कर दिया है।

शासन द्वारा जारी आदेश कर्मचारियों पर दंडात्मक कार्यवाही है, इस आदेश से वरिष्ठ कर्मचारियों का मनोबल गिरेगा एवं वह अपने मातहत से काम लेने में दुविधा महसूस करेगा। एसीपी व्यवस्था कर्मचारियों को प्रमोशन ना होने की स्थिति लाभ देने के लिए बनाई गई है। प्रदेश के विभागों में प्रमोशन की स्थिति यह है कि 15 -20 वर्षों तक प्रमोशन नहीं होता है। ऐसी स्थिति में कर्मचारियों को एसीपी के माध्यम से वित्तीय लाभ  मिल रहा था।

2014 के शासनादेश के अनुसार किसी कर्मचारी को पदोन्नति पर प्राप्त ग्रेड वेतन अथवा एसीपी की व्यवस्था में अगला प्राप्त ग्रेड वेतन किसी कनिष्ठ कार्मिक को प्राप्त हो रहे एसीपी में ग्रेड वेतन से कम होने की स्थिति में वरिष्ठ कार्मिक को कनिष्ठ के समान वेतन  दिए जाने का प्रावधान था लेकिन अब यह प्रावधान बदल दिया गया है।

इस आदेश से सरकारी विभागों में प्रशासनिक दिक्कतें भी  उत्पन्न हो जाएगी। यदि कनिष्ठ कर्मचारी वरिष्ठ कर्मचारी से अधिक वेतन पाएगा तो वरिष्ठ कर्मचारी कनिष्ठ कर्मचारी पर प्रशासनिक नियंत्रण कैसे कर सकता है? संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जे एन तिवारी ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इस विसंगति को दूर करने का  अनुरोध किया है।

 

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