1965 का युद्ध जीतने वाले ही नहीं होंगे जश्न में शामिल!

तहलका एक्सप्रेस ब्यूरो, नई दिल्ली। पाकिस्तान के खिलाफ 1965 के युद्ध में भारत की विजय की 50वीं वर्षगांठ के मौके पर उस जीत का जश्न मनाने की नरेंद्र मोदी सरकार की योजना पर पूर्व सैन्यकर्मियों के विरोध प्रदर्शन का ग्रहण लग सकता है।ये पूर्व सैन्यकर्मी एक रैंक, एक पेंशन पॉलिसी लागू होने में लग रही देर पर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
15 जून से भूख हड़ताल पर बैठे पूर्व सैन्यकर्मियों ने सभी सरकारी कार्यक्रमों का बहिष्कार करने की अपील की है। अगर सरकार प्रदर्शन कर रहे पूर्व सैन्यकर्मियों की तरफ से तय 15 जुलाई की अंतिम तारीख तक इस पॉलिसी को लागू नहीं करती है, तो हो सकता है कि जो सैन्यकर्मी इस युद्ध में लड़े थे, इन कार्यक्रमों में शामिल नहीं हों। आर्मी के समारोहों में इनके शामिल होने को लेकर कुछ शंका है क्योंकि उन कार्यक्रमों को गैर सरकारी माना जा रहा है। दिल्ली के जंतर मंतर पर भूख हड़ताल पर बैठे सैन्यकर्मियों के संगठन यूनाइटेड फ्रंट ऑफ एक्स-सर्विसमेन के सलाहकार जनरल सतबीर सिंह ने कहा, ‘हम आर्मी की तरफ से आयोजित कार्यक्रम को छोड़कर बाकी सभी सरकारी कार्यक्रमों का विरोध करते रहेंगे।’ उन्होंने कहा कि फ्रंट के सदस्यों ने वेस्टर्न आर्मी कमांड के तहत चंडीमंदिर में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में बांहों पर काली पट्टी बांधने का फैसला किया है। उन्होंने कहा, ‘वेस्टर्न आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल के जे सिंह ने पूर्व सैन्यकर्मियों को कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता दिया है। उन्होंने पक्के तौर पर कहा है कि वन रैंक, वन पेंशन के लिए हो रहे विरोध प्रदर्शन को मजबूत बनाने के लिए पूर्व सैन्यकर्मी बाहों पर काली पट्टी बांध सकते हैं।’ कुछ सैन्यकर्मी काली पट्टी बांधने की बात से इत्तिफाक नहीं रखते। उनका कहना है कि कार्यक्रम में मौजूदगी को लेकर कोई शर्त नहीं है। इंडियन एक्स सर्विसमेन मूवमेंट के हेड राज कादयान, लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) ने कहा, ‘काली पट्टी विरोध का प्रतीक है लेकिन इसको मिलिट्री फंक्शंस से बाहर रखा जाना चाहिए। मिलिट्री फंक्शन के लिए नाराजगी दिखाने की जरूर नहीं है।’ पाकिस्तान पर भारत की जीत का जश्न मनाने के लिए अगले तीन महीने देशभर में कार्यक्रमों की शृंखला आयोजित की जाएगी और महीने के अंत में एक सेमिनार किया जाएगा। चंडीमंदिर में हो रही तैयारियों में लगे एक ऑफिसर ने बताया, ‘हम पूर्व सैन्यकर्मियों के साथ डिफेंस एक्सपर्ट्स को भी बुला रहे हैं जो 1965 के युद्ध से जुड़ी अपनी यादें शेयर करेंगे।’ पूर्व सैन्यकर्मियों को स्मृतिचिन्हों और फोटोग्राफ का प्रदर्शन करने का भी न्योता दिया गया है।
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