20 दिन में पदाधिकारी 20 कार्यकर्ताओं के नाम तक नहीं बता पा रहे

लखनऊ। पॉलिटिकल स्ट्रैटेजिस्ट प्रशांत किशोर (पीके) के सहारे यूपी में खोई जमीन पाने के मंसूबे पाले कांग्रेस के 20 जिले पहले ही टेस्ट में फेल हो गए हैं। प्रशांत किशोर ने अपनी रणनीति के पहले हिस्से में सभी जिला और शहर कार्यकर्ताओं से 20 सक्रिय कार्यकर्ताओं के नाम 31 मार्च तक मांगे थे, लेकिन इनमें से अभी 19 जिलों ने नाम नहीं भेजे हैं। यानी 20 दिन में पदाधिकारी 20 कार्यकर्ताओं के नाम तक नहीं बता पा रहे।
10 मार्च को प्रशांत किशोर पहली बार लखनऊ आए थे। तब उन्होंने प्रदेश और जिला संगठन के पदाधिकारियों के साथ बैठक की थी। सभी जिला और शहर अध्यक्षों से उन्होंने 20-20 सक्रिय कार्यकर्ताओं के नाम मांगे थे। कहा जा रहा था कि इन सक्रिय कार्यकर्ताओं का इस्तेमाल प्रशांत किशोर बूथ लेवल तक अपनी स्ट्रैटिजी ले जाने में करेंगे। हो सकता है कि इन कार्यकर्ताओं को कांग्रेस की तरफ से फंड भी किया जाए ताकि ये अपना काम बेहतर तरीके से कर सकें।
प्रशांत चाहते थे कि यह काम उनके राजधानी में डेरा डालने से पहले हो जाए। इसके लिए उन्होंने 31 मार्च तक का समय दिया था। जानकार बताते हैं कि प्रशांत की योजना थी कि वह इसके बाद सभी कार्यकर्ताओं से दिल्ली में मिलेंगे। यह पूरा काम उनके राजधानी लखनऊ आने से पहले होना था। हालांकि ऐसा नहीं हुआ। बहराइच, बदायूं और हमीरपुर समेत 19 जिले अभी तक कार्यकर्ताओं का ब्योरा नहीं दे सके हैं।
बदले ब्लॉक अध्यक्ष को लेकर भी परेशानी: 10 मार्च को हुई बैठक में यूपी कांग्रेस प्रभारी मधुसूदन मिस्त्री ने बदले गए कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्षों को लेकर नाराजगी जताई थी। ब्लॉक स्तर से उम्मीदवार मांगे गए थे और जिला अध्यक्षों ने ब्लॉक अध्यक्ष ही बदल दिए थे ताकि उनके फेवर के उम्मीदवारों के नाम मुख्यालय भेजे जाएं। हालांकि अब जबकि सक्रिय कार्यकर्ताओं को लेकर मांग उठी तो यही नेता लोग परेशान हैं कि आखिर किसका नाम भेजें ताकि चीजें मैनेज हो सकें।
गढ़े जाने लगे नारे: चुनावी बिगुल फूंकने से पहले कांग्रेस ने अपने नारे तक गढ़ने शुरू कर दिए हैं। यूपी कांग्रेस अध्यक्ष डॉक्टर निर्मल खत्री ने हर जिलों से नारे मांगे थे। 100 से ज्यादा नारे अब तक कांग्रेस कार्यालय पहुंच गए हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि प्रशांत किशोर को ये नारे भेजे जाएंगे ताकि इन नारों में से बेहतर नारों को अलग किया जा सके। कुछ नारों में फेरबदल करके भी उनका इस्तेमाल किया जाएगा। इन नारों को मई-जून तक जनता के बीच फ्लोट कर दिया जाएगा। इनके फ्लोट होने के साथ ही कांग्रेस की चुनावी रणनीति भी परवान चढ़ेगी।
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