नई दिल्ली। देश के बवाली बाबाओं की फेहरिस्त में शामिल हुआ ये सबसे नया बाबा, ज़माने की नज़र में आते ही कुख्यात हो गया है. इसके कारनामे इतने बड़े बड़े और अश्लील है कि लोगों ने इसे बाबा राम रहीम का भी उस्ताद घोषित कर दिया है. मगर इस इनसाइड स्टोरी में हम पर्दा हटाने जा रहे हैं वीरेंद्र देव दीक्षित की करतूतों से. हम आपको बताएंगे कब, कहां और कैसे बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित ने खुद को भगवान का अवतार घोषित किया और कैसे उसने अपनी साधिकाओं को मोक्ष दिलाने के नाम पर अपनी रानियां बनाने का झांसा दिया? पेश है इस बबा के ढोंग की पूरी कहानी.

देशभर में 200 आश्रम. उन 200 आश्रमों में 16 हज़ार रानियां. उन तमाम रानियों को वो नशे का इंजेक्शन देकर बंद कमरे में आशीर्वाद दिया करता था. ये कहानी है बाबाओं की जमात से निकले देश के सबसे ताजे बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित की. उन बाबा की जो अपने आश्रम में सात तालों में अपनी रानियों को कैद रखता था. लेकिन अब जैसे ही बाबा के रहस्यलोक का ताला टूटना शुरू हुआ आश्रम के अंदर से एक एक कर ये रानियां आज़ाद हो रही हैं और उनके साथ ही बाहर आ रही हैं बाबा की हैरान कर देने वाली कहानियां.

ढोंगी बाबाओं की फेहरिस्त में शामिल हुए इस नए बाबा का कच्चा चिट्ठा खुलता जा रहा है. हम आपको बताने जा रहे हैं ढोंगी बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित की इनसाइड स्टोरी. जिसमें हम आपको बताएंगें बाबा के आगाज़ से लेकर अंजाम तक का एक एक राज़ और खोलेंगे उससे और उसके अश्लील विश्वविद्यालय से जुड़ी हर एक पहेली. आखिर कौन है बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित? बाबा ने कैसे दिया भोले भाले लोगों को झांसा? बाबा कैसे बना इंसान से भगवान? बाबा ने देशभर में कैसे खोली ‘अश्लील’ यूनिवर्सिटी? महिलाएं-बच्चियां कैसे बनीं अश्लील बाबा का शिकार? बाबा के पास कहां से आई अकूत दौलत? अश्लीलता के अलावा क्या हैं बाबा के लग्ज़री शौक?

जिन सात तालों में बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित ने अपनी अश्लील यूनिवर्सिटी के राज़ कैद कर रखे थे. उन्हीं तालों को तोड़कर बाहर निकली हैं बाबा की सात पहेलियां. जिन्हें सुलझाना उतना ही ज़रूरी है जितना भोले भाले लोगों को इन ढोंगी बाबाओं से बचाना ज़रूरी है. मगर इन पहेलियों को सुलझाने से पहले आइये आपको बताते हैं कि जब पाप का खड़ा भरता है तो वो कैसे फूटता है. हाईकोर्ट के आदेश के बाद न सिर्फ बाबा की अश्लील यूनिवर्सिटी के ताले तोड़े जा रहे हैं बल्कि मासूमों औरतों को बाहर निकालने के अलावा इस रहस्यलोक के राज़ भी फाश हो रहे हैं.

देखिए ताला खुला तो कैसे एक एक कर बाबा की बाबागीरी की तस्वीरें सामने आने लगी. धर्म के नाम पर भक्ति और मोक्ष की नीलामी जो बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित ने अपनी इस अश्लील यूनिवर्सिटी में की उसने पूरी इंसानियत को शर्मसार कर दिया. मुक्ति की खोज में इस अश्लील यूनिवर्सिटी में आई महिलाएं एक ऐसे जाल में फंस चुकी थीं कि अगर हाईकोर्ट दखल न देता तो उनकी ज़िंदगी यूं ही इन पिंजड़ों में तिल तिल कर खत्म हो जाती.

पर्दे के पीछे से मुंह छिपाते हुए निकल रही औरतों और बच्चियों के बजाए. मुंह तो उस दरिंदे को छिपाने चाहिए जिसने इनकी जिंदगी को अपनी अय्याशी के चक्कर में रोज़ अपने कदमों के तले कुचला है. मगर हमारे देश में ऐसा होता कब है. हर बार हम ऐसे ढोंगी बाबाओं से सबक लेते हैं और हर बार कोई नया बाबा हमारी आस्थाओं से खेल जाता है और आखिर में रह जाता है तो पछ्तावा.

रोहिणी का विजय विहार अपने आप को हारा हुआ महसूस कर रहा था. इलाके की बेटियां सहमी हुई थीं. औरतें सुलग रही थीं गुस्से में. वो कह रही थी कि बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित नाम का एक अय्याश आध्यात्म के नाम पर अय्याशियों का तहखाना चला रहा था कि और वो कुछ नहीं कर पा रही थीं.

दिनभर छापा चलता रहा. रात हो गई. कई लड़कियों के परिजन उन्हें छुड़ाने के लिए बाहर घंटों खड़े रहे. किसी की बहन को बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित ने बंधक बना रखा था तो किसी की बेटी बरसों से इस कैदखाने में थी. लेकिन वो वीरेंद्र दीक्षित न तो उन्हें किसी से मिलने देता और न ही बाहर निकलने देता.

कुल 41 महिलाओं और बच्चियों को हाईकोर्ट और स्वाति मालीवाल की टीम ने अभी तक छुड़ाया है। बताते हैं कि लगभग डेढ़ सौ महिलाएं अभी भी आश्रम नाम के इस कैदखाने में हैं. ज्यादातर को तो बरसों की यातना और उत्पीड़न ने इतना तोड़ दिया है कि वो न कुछ बता पा रही हैं और न बोल पा रही हैं.

जरा सोचिए आश्रम के नाम पर ढोंगी वीरेंद्र देव दीक्षित और उसके मेहमानों की अय्याशियों का ये अड्डा दिल्ली पुलिस नाम की नाक के नीचे चल रहा था. उसकी नाक के नीचे आश्रम में महिलाओं को जबरन बंधक बनाया जा रहा था. उनके साथ आस्था के नाम पर अश्लीलता का खेल खेला जा रहा था. और जो इन्ही चारदीवारियों में दम तोड़ देती थीं. उन्हें बिना किसी को बताएं क्रिया करम भी कर दिया जाता है और किसी को पता भी नहीं चला.

अध्यात्म की अश्लील यूनिवर्सिटी में औरत को सामान बना कर रख दिया था बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित ने. सोचिए अगर हाईकोर्ट ने दखल न दिया होता तो इन मासूमों का क्या होता. ये अपनी किस्मत को कोसती रहतीं और यहीं दम तोड़ देतीं. वीरेंद्र दीक्षित ने अपने नाम में तो देव लगा रखा लेकिन असल में वो दानव था. उसे औरतों के मुस्कुराने से नफरत थी. बच्चियों की खुशी से नफरत थी. उनकी आजादी से नफरत थी. और इस नफरत में वो रोज उन्हें रौंदता था.

कहते हैं कि बाबा वीरेंद्र दीक्षित ने हर उम्र की लड़कियों के लिए काम तय कर रखा था. आध्यात्मिक विश्वविद्यालय की तीसरी मंजिल पर वो खुद रहता था. तीसरी मंजिल पर सिर्फ वीरेंद्र देव दीक्षित और 28 साल तक की लड़कियां रहा करती थीं. 28 से 40 साल तक की महिलाओं को चौथी मंजिल पर रखा जाता था. 40 साल की महिलाओं का काम बर्तन, खाना बनाना और सफाई करना था. 40 साल से ज़्यादा उम्र की औरतों को शिक्षा देने में लगाया जाता था.

बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित न सिर्फ अश्लील था बल्कि बहुत बड़ा भी अय्याश था. नाबालिग बच्चों और कम उम्र औरतों और तमाम तरह के ऐशो-आराम के अलावा उसे लग्जरी कारों का भी शौक था.

 

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