कानपुर: चंदे के पैसे से लोकसभा चुनाव लड़े थे गोपालदास नीरज, रहे थे तीसरे स्थान पर

कानपुर। संघर्ष के आगे गोपालदास नीरज ने कभी सिर नहीं झुकाया. गोपाल दास नीरज ने कानपुर की संसदीय सीट से निर्दलीय लोकसभा चुनाव भी लड़ा था. चुनाव लड़ने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे लेकिन उनके दोस्तों की मण्डली ने इसके लिए चंदा करके रुपये इकठ्ठा जमा किये.

पूरे संसदीय क्षेत्र में घूम-घूम कर चुनाव प्रचार किया. भाषणों में विपक्षी नेताओं पर कविताओं हमला किया. निर्दलीय चुनाव लड़ने के बाद भी वो तीसरे स्थान पर रहे. इस चुनाव में एसएस बनर्जी ने जीत हासिल की थी. दरअसल 1967 में गोपालदास नीरज डीएवी कालेज में क्लर्क की नौकरी कर रहे थे. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें कानपुर से टिकट देने का वादा किया था, लेकिन अंतिम समय पर कांग्रेस ने उन्हें टिकट नही दिया.

इस बात से नाराज उनके दोस्तों और छात्र संघ ने उन्हें निर्दलीय चुनावी मैदान पर उतारा था. इसके लिए सभी ने चंदा करके रुपया इकठ्ठा किया था. दोस्तों के कहने पर गोपाल नीरज यह चुनाव लड़ने के लिए राजी हो गए थे. सभी ने यह प्लान तैयार किया था कि नीरज को यह चुनाव कुछ अलग ढंग से लड़ाया जायेगा. इसके लिए जगह-जगह नुक्कड़ नाटक किए गए. वे बेरोजगारी और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर चुनाव लड़े थे. कानपुर की जनता से उन्हें बहुत प्यार मिला.

जब चुनाव का परिणाम आया तो बनर्जी ने जीत हासिल की और कांग्रेस का कैंडीडेट दूसरे नंबर था. गोपाल दास नीरज तीसरे नंबर थे.

 

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