गाजीपुर के इस फैक्ट्री से निकल रहे जानलेवा राख और धुंए, जिला प्रशासन मौन

जब से देश में कोरोना की दुसरी लहर आई है। एक ही शब्द गूंज रहा है। ऑक्सीजन सड़क, सोशल मिडिया से लेकर संसद तक ऑक्सीजन की ही बात हो रही है।

जब से देश में कोरोना की दुसरी लहर आई है। एक ही शब्द गूंज रहा है। ऑक्सीजन सड़क, सोशल मिडिया से लेकर संसद तक ऑक्सीजन की ही बात हो रही है। आज के इस विडियो में हम कुछ बात करें उससे पहले ये विडियो देख लीजिए।  इस विडियो में आप देख रहे होगें की एक फैक्ट्री में से एक काला धुंआ उड़ रहा है। फैक्ट्री के आसपास देखें तो पता चलता है कि ये कोई मैदानी इलाका है।

जी हां ये फैक्ट्री है गाजीपुर के फतुल्लाहपुर की सुखबीर एग्रो प्राईवेट लिमिटेड।  ये एक प्वार प्लांट है जहां राइस मिल भी है। इस फैक्ट्री से उड़ने वाले राख और धुएं से प्रदूषण का स्तर अपने चरम स्तर पर पहुंच चुका है। इससे फैक्ट्री के आसपास के दर्जनों गांवों में इस पावर प्लांट और राइस मिलों के उड़ने वाली राख और अवशेष का असर है। और तो और फैक्ट्री का पानी भी खुलेआम सड़कों पर बहाया जा रहा है, ट्रॉली से फैक्ट्रियों के अवशेष आसपास के इलाकों में फेंकें जा रहे। मकानों की छतों, सड़को पर पर राख मोटी परतें जम जाती हैं।

आसपास के लोगों का कहना है कि घर की छत हो या आंगन हर जगह फैक्टरियों की चिमनियों से निकलने वाली काली राख पड़ी है। है। राख के कारण लोगों का घरों के बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। घरों के बाहर खड़े होते ही कपड़े राख से काले हो जाते हैं। आंगन में सारा दिन राख फैली रहती है। राख को साफ करने के लिए दिन में कई बार झाडू लगाना पड़ता है। ये राख इतनी खतरनाक है कि अगर आंख में चली जाए तो बिना डाक्टर के ये राख निकल नहीं सकती।

गाजीपुर के फतुल्लाहपुर की सुखबीर एग्रो प्राईवेट लिमिटेड कंपनी धान के फसलों के अवशेष और धान के भूसे से बिजली पैदा करती है। ये भारत की टॉप एग्रो कंपनियों में से एक है। यही वजह है कि शासन प्रशासन में रुतबा बरकरार है। आम जनता की कोई सुनवाई ही नहीं हो रही। लोग काले जहरीले धुएं और राख से परेसान हैं लेकिन जिला प्रशासन के कानों पर जू तक नही रेंग रही।
स्थानीय लोग अब तक कई शिकायतें कर चुके हैं, कई बार धरना भी दे चुके हैं। लेकिन अब तक किसी के खिलाफ भी अधिकारियों ने कार्रवाई नहीं की है।

पर्यावरण एक्सपर्ट्स का कहना है कि फैक्टरियों के धुंए से जो राख निकलती है वह सेहत के लिए काफी नुकसानदायक होती है, क्योंकि यह सांस के माध्यम से शरीर के अंदर चली जाती है। इसके अलावा शरीर पर एलर्जी, आंखों में जलन, दमा, खुजली आदि बीमारियां हो जाती हैं।

केंद्र और राज्य सरकार लाख स्वच्छ भारत का नारा लगा लें लेकिन वास्तविकता क्या है ये सुखबीर एग्रो प्राईवट लिमिटेड वाली ये फैक्ट्री बता रही है। सरकारें रोजगार और उद्योगों को बढ़ावा देने में लगी है। प्रधानमंत्री लोकल फॉर वोकल क नारा दे रहे हैं। रोजगार और उद्योग आ भी रहे तो इस प्रकार की बदइंतजामी जो लोग की जान पर बन आए। जिला प्रशासन मौन है। लोग हलकान हैं। शिकायतें कर रहे हैं, धरना दे रहे हैं लेकिन हो कुछ नहीं रहा। आखिर इस बदइंतजामी का जिम्मेदार कौन होगा। जिला प्रशासन पराली जलाने के बाद एक किसान को पकड़ लेती है लेकिन जो परलियों का पूरा भंडार जला रहा उसपर कोई कारवाई नहीं।

कोरोना की दुसरी लहर में लाखों लोगों ने जान गंवा दी। हजारों की संख्या में लोग ऑक्सीजन की वजह से दम तोड़ते नजर आए। फेसबुक ट्वीटर हर जगह लोग ऑक्सीजन ऑक्सीजन चिल्ला रहे थे, लेकिन सरकार अभी भी नींद में है। और सिर्फ एक सुखबीर एग्रो प्राईवट लिमिटेड कंपनी ही नहीं ऐसी सैकड़ों कंपनियां होंगी प्रदेश में जो इस तरह जहरीली धुँए का राख से वातावरण दूषित करते हैं। सरकार और पर्यावरण सेवियों को इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान देकर पर्यावरण और आम लोगों की जान की कीमत समझनी चाहिए

 

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