Farmers Protest: सरकार के साथ बैठक से पहले किसान नेता ने कही ये बड़ी बात…

कृषि कानून को लेकर पिछले 43 दिनों से दिल्ली बॉर्डर पर डटे किसानों (Farmers) के साथ शुक्रवार को 8वें दौर की बैठक होगी।

कृषि कानून को लेकर पिछले 43 दिनों से दिल्ली बॉर्डर पर डटे किसानों (Farmers) के साथ शुक्रवार को 8वें दौर की बैठक होगी। इस बैठक के लिए दो बसों में बैठकर सिंघु बॉर्डर से किसान नेता दिल्ली के विज्ञान भवन के लिए रवाना हो गए हैं।

बैठक के लिए किसान नेता ने कही ये बड़ी बात…

इसी बीच किसान और केंद्र सरकार के बीच 8वें दौर की बैठक से पहले भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि हम इसी उम्मीद से जा रहे हैं कि हल निकले। सरकार से उम्मीद है कि वो कुछ न कुछ हल निकाल लेगी।

पहले कई दौरे की बैठक में नहीं निकला नतीजा

बता दे कि इससे पहले 4 जनवरी को बैठक हुई थी, लेकिन उसमें भी कोई हल नहीं निकला था। सरकार अपने कदम पीछे हटाने को तैयार नहीं है। वहीं, किसान (Farmers) भी कानूनों के वापस लिए जाने तक आंदोलन को जारी रखने की बात कर रहे हैं। उनका कहना है कि, जबतक सरकार तीनों कानूनों को वापस नहीं लेती है, तबतक उनका आंदोलन इसी तरह से चलता रहेगा। सरकार की तरफ से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने साफ कर दिया है कि, कानूनों को वापस लेने के अलावा किसी भी प्रस्ताव पर विचार किया जा सकता है।

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ट्रैक्टर मार्च निकालकर किसानों के दिखाई ताकत

किसान कानून के विरोध में गुरुवार को हजारों की तादाद में किसानों (farmers) ने दिल्ली की सीमाओं जिसमें सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर तक ट्रैक्टर मार्च निकाला। किसानों की तरफ से 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड निकाली जाएगी। इसके लिए किसानों ने यह रिहर्सल परेड के तौर पर निकाला था।

सरकार का अगला कदम क्या होगा?

कृषि कानून को लेकर सरकार का अगला कदम क्या होगा? इस पर कृषि राज्य मंत्री ने कहा कि, सरकार नए कानूनों में किसानों (farmers) को छूट देते हैं और यह कोशिश की जा रही है कि, जल्द ही किसानों के साथ ये गतिरोध खत्म हो जाए। कृषि राज्य मंत्री ने कहा कि, अभी फिलहाल जो भी कदम उठाए गए हैं वो सिर्फ शुरूआत है आगे कीटनाशक विधेयक और बीज विधेयक होगा।

अपनी मांगों को लेकर डटे हैं किसान

बता दें कि, किसानों (farmers) के साथ सरकार की सात दौर की मीटिंग हो चुकी है, लेकिन ये सभी बैठकें बेनतीजा रहीं और बीच का कोई भी रास्ता नहीं निकल पाया है। क्योंकि सरकार पीछे हटने को तैयार नहीं है और किसानों की मांग है कि कानूनों के वापस लिए जाने तक उनका प्रदर्शन ऐसे ही चलता रहेगा।

 

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