कृषि कानून: सुप्रीम कोर्ट में आज फिर होगी सुनवाई, आ सकता है बड़ा फैसला

कृषि कानून के विरोध में दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को हटाने की मांग पर गुरुवार को दोबारा सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. कोर्ट दोपहर 12 बजे के बाद इस मामले की सुनवाई करेगा.

कृषि कानून के विरोध में दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों(farmer) को हटाने की मांग पर गुरुवार को दोबारा सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. कोर्ट दोपहर 12 बजे के बाद इस मामले की सुनवाई करेगा. सरकार की तरफ से किसानों को दिल्ली बॉर्डर से हटाने की मांग की गई है. जिसपर सुप्रीम कोर्ट में सुनवई होगी. ऐसा माना जा रहा है कि, सुप्रीम कोर्ट किसानों को हटाने के पक्ष में फैसला सुना सकता है. अगर ऐसा हुआ तो किसान आंदोलन और तेज हो जाएगा क्योंकि किसान किसी भी कीमत पर दिल्ली बॉर्डर छोड़ने को राजी नहीं हैं.

दिल्ली की सीमा पर कृषि कानून के खिलाफ किसानों(farmer) के आंदोलन का आज 22वां दिन है. आंदोलनकारी किसानों को सड़क से हटाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को फिर सुनवाई होगी. सुनवाई दोपहर 12 बजे के बाद होगी. कोर्ट ने बुधवार को हुई सुनवाई में कहा था कि वह कोई भी आदेश देने से पहले आंदोलनकारी संगठनों को भी सुनेगा. वहीं भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने फिर से 17 दिसंबर को यूपी गेट पर खाप पंचायत करने का ऐलान किया है. इससे पहले नरेश टिकैत के नेतृत्व में 3 दिसंबर को हजारों किसानों के साथ महापंचायत हुई थी.

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खाप पंचायत के जरिए किसान(farmer) आंदोलन को और अधिक मजबूत करने की रणनीति पर चर्चा होगी. बता दें कि, मुजफ्फरनगर के सोरम गांव में खाप पंचायतों का मुख्यालय है. 14 दिसंबर को मुख्यालय पर खाप पंचायतों की बैठक हुई थी. इसमें पश्चिमी यूपी की 8 खाप पंचायतों ने हिस्सा लिया था. इसी पंचायत में तय किया गया था कि, आने वाले 17 दिसंबर को यूपी गेट पर खाप की महापंचायत होगी.

गौरतलब है कि, बीते मंगलवार को रामपुर जिले में कुछ किसानों को पुलिस ने रोक दिया था. जिसके बाद किसान नेताओं ने रामपुर पुलिस से संपर्क किया लेकिन मामले का हल न निकलने की वजह से किसानों ने ऐलान किया कि, अब आपातकाल सेवाओं के लिए चलने वाले वाहनों जिसमें एंबुलेंस को भी एक्सप्रेस वे से नहीं निकलने दिया जाएगा.

बीते बुधवार को सिंघु बॉर्डर पर किसान नेता और और संत बाबा रामसिंह ने खुद को गोली मार ली थी जिसके बाद उनकी मौत हो गई थी. संत रामसिंह की मौत से किसानों के अंदर काफी गुस्सा है और उन्होंने इस घटना का जिम्मेदार सरकार को ठहराया है. संत रामसिंह ने आत्महत्या से पहले एक सुसाइड नोट भी लिखा है. जिसमें आंदोलन से जुड़ी बातें लिखी हैं.

 

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