जिंदगी की रेस में हारे मिल्खा सिंह, इतिहास के सुनहरे पन्नों में यूँ दर्ज़ कराया ‘फ्लाइंग सिंह’ का खिताब

फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर धावक मिलखा सिंह के निधन से पूरे देश में शोक की लहर है। 91 वर्षीय मिल्खा सिंह का चंडीगढ़ के पीजीआई अस्पताल में रात 11.30 बजे निधन हो गया।

कोरोना पॉजिटिव होने के बाद मिल्खा सिंह को पीजीआई चंडीगढ़ में भर्ती किया गया था। पांच दिन पहले उनकी पत्नी का भी निधन हो गया था। रात 11.40 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन के साथ भारतीय खेल के एक युग का अंत हो गया। इस दुखद सूचना से देश और दुनिया के खेल प्रेमियों में शोक की लहर फैल गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित तमाम नेताओं ने उनके निधन पर शोक जताया है।

मिल्खा सिंह का क्रेज हमेशा रहा। जब वे जवान थे, तब भी लोग उन पर जान छिड़कते थे और बुढ़ापे में भी लोग उनके दीवाने थे। उन्होंने अपनी बायोपिक स्टोरी पर फिल्म बनाने सिर्फ एक रुपया लिया था।

मिलखा सिंह से फ्लाइंग सिख बनने तक का उनका सफर बेहद रोमांचक और गौरवशाली रहा। उनके जीवन में कई ऐसे विपरीत पल आए, जिन से उन्होंने ना सिर्फ पार पाया, बल्कि इतिहास रच दिया। उनके जीवन से जुड़े कई किस्से याद किए जा रहे हैं।

सेना में भर्ती होने के 4 साल बाद 1956 में वे पटियाला में हुए नेशनल गेम्स जीते। इससे उन्हें ओलंपिक के लिए ट्रायल देने का मौका मिला। लेकिन ओलंपिक के लिए ट्रायल देने से पहले ही उन्हें एक भयंकर और दर्दनाक अनुभव से गुजरना पड़ा था। मिल्खा सिंह के जो प्रतिद्वंदी थे वे नहीं चाहते थे कि मिल्खा सिंह उस रेस में हिस्सा लें। इसलिए एक दिन पहले ही उनके प्रतिद्वंदियों ने उन पर हमला बोला। उनके सर और पैरों में चोट आई। अ

 

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