कौशाम्बी: प्रसव पीड़िता की हालत नाजुक, स्टाफ नर्स सरकारी अस्पताल ना भेज पहुंचाया निजी चिकित्सालय

बीती रात 11:00 बजे डिलीवरी करवाने के बाद मुझे तेज रफ्तार ब्लीडिंग होने पर अपना स्वास्थ्य खराब होने का बहाना करके उसने दाई से कहलवाया की यहा से लेकर किसी बड़े अस्पताल ले जाए है।

उत्तर प्रदेश के जनपद कौशाम्बी में नवीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अजुहा में तैनात घूसखोर गैर जिम्मेदार स्टाफ नर्स ने प्रसव पीड़िता शकुंतला देवी पत्नी राजकुमार निवासी धुमाई थाना सैनी को 8 फरवरी की रात 11:00 बजे अस्पताल में भर्ती किया।

पीड़िता की डिलीवरी स्टाफ नर्स पूर्णिमा ने करा दिया। लेकिन दोबारा प्रसव पीड़िता को देखने नहीं पहुंची। कुछ देर बाद प्रसव पीड़िता की हालत नाजुक होने पर परिजनों ने स्टाफ नर्स से मिलने पर उसने अस्पताल के रजिस्टर में जिला अस्पताल के लिए रिफर 102 एंबुलेंस द्वारा दिखा रही है। लेकिन प्रसूता को जिला अस्पताल न पहुंचाकर कमीशन के लालच में सैनी स्थित निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। जहां उसका आर्थिक दोहन किया जा रहा है।

दाई से कहलवाया की यहा से लेकर किसी बड़े अस्पताल ले जाए है

प्रसव पीड़िता शकुंतला देवी ने बताया कि बीती रात 11:00 बजे डिलीवरी करवाने के बाद मुझे तेज रफ्तार ब्लीडिंग होने पर अपना स्वास्थ्य खराब होने का बहाना करके उसने दाई से कहलवाया की यहा से लेकर किसी बड़े अस्पताल ले जाए है।

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प्रसूता ने बताया कि पूर्णिमा नर्स ने मेरे परिजनों को बहला-फुसलाकर सैनी स्थित निजी अस्पताल में भेजा था जहां प्रसव पीड़िता की हालत नाजुक देख नही भर्ती किया गया जिसके बाद घबराए परिजनों ने वही कुछ दूरी पर एक दूसरे निजी अस्पताल लेकर गए जहाँ पर प्रसूता स्वस्थ है।

गैर जिम्मेदार स्टाफ नर्स गरीब परिवार की प्रसव पीड़िताओं की मौत

बीते साल भर में आधा दर्जन से अधिक गंभीर मामले हैं। जिनका आर्थिक दोहन कर पैसे की लालच में या तो क्षेत्र के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया और उनकी मौत हो गई। गैर जिम्मेदार स्टाफ नर्स गरीब परिवार की प्रसव पीड़िताओं की मौत की जिम्मेदार बन चुकी है।

आखिर किसकी सह पर इनके हौसले बुलंद रहते हैं

ऊंची पहुंच होने का कारण स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की कार्यवाही करने की हिम्मत नही पड़ रही है तमाम प्रसव पीड़ितों की मौत का खेल स्टाफ नर्स पूर्णिमा कर रही है। आखिर किसकी सह पर इनके हौसले बुलंद रहते हैं।

शिकायत करने वाले लोगो की कोई सुनवाई

स्टाफ नर्स की बार-बार प्रसव पीड़िता के साथ लापरवाही बरतने का मामला प्रकाश में आ चुका है जिससे क्षेत्र के गरीबों में नाराजगी का माहौल है। स्टाफ नर्स की ऊंची पकड़ के कारण अधिकतर लोगों की हिम्मत नही पड़ती है कि वह आगे कोई शिकायत करें क्योकि इसकी शिकायत करने वाले लोगो की कोई सुनवाई नही होती।

मीडिया ने जब पूछा तो स्टाफ नर्स ने बताया कि वह स्वयं जिला अस्पताल के लिए 102 एंबुलेंस द्वारा रेफर की है। एम्बुलेंस कर्मचारी का नाम प्रमोद बताया है लेकिन अब मामला यह सामने आ रहा है कि मीडिया के पूछने पर स्टाफ नर्स ने अपना रेफर रजिस्टर दिखाना शुरू किया जिसको देखने से साफ तौर पर पता चलता है।

रजिस्टर बनाने में नर्स ने अधूरी जानकारी दर्ज की

अपनी बचाव के लिए नर्स ने तुरंत महिला का रेफर रशीद बनाया लेकिन ऐसे कार्य मे वह खुद की ही जाल में फस गयी।जल्दबाजी में रजिस्टर बनाने में नर्स ने अधूरी जानकारी दर्ज की जिसमे नही है।

भर्ती व रेफर का दिनांक व समय और न ही LMP की तारीख और रेफर पर्ची भी उस पैड से निकालना भूल गयी जो कि कैमरे में कैद हो गया। जब मरीज जिला अस्पताल भेजा जा रहा है तो रेफर पर्ची तो मरीज को देना जरूरी है। ऐसे जिम्मेदार पद पर कार्यरत होने के बाद ऐसी लापरवाही क्यो जिससे साफ पता चलता है कि फर्जी तरीके से रेफर पर्चा बनाया गया अब ये जांच का विषय बन गया।अब देखना है कि कितने समय मे जांच पूरी होती है।

 

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