नवरात्रि: तो इसलिए होता है कन्या पूजन….

नवरात्रि चल रही है। भक्तजन जहां नौ दिनों तक व्रत करते हैं वहीं कन्या पूजन करके मां का आशीर्वाद भी लेते हैं। 

नवरात्रि चल रही है। भक्तजन जहां नौ दिनों तक व्रत करते हैं वहीं कन्या पूजन करके मां का आशीर्वाद भी लेते हैं। 

ये पृथ्वी पर प्रकृति स्वरूप मां शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं जैसे श्वास लिए बगैर आत्मा नहीं रह सकती।वैसे ही कन्याओं के बिना इस सृष्टि की कल्पना भी नहीं की जा सकती। कन्या प्रकृति रूप ही हैं अत: वह संपूर्ण है।

ये है कन्या पूजन की धार्मिक मान्यता

कन्या पूजन से जुड़ी धार्मिक मान्यता पर गौर किया जाए तो पता चलता है कि सृष्टि सृजन में शक्ति रूपी नौदुर्गा, व्यवस्थापक रूपी 9 ग्रह, चारों पुरुषार्थ दिलाने वाली 9 प्रकार की भक्ति ही संसार संचालन में प्रमुख भूमिका निभाती हैं।

जिस प्रकार किसी देवता की मूर्ति पूजा करके हम संबंधित देवता की कृपा प्राप्त कर लेते हैं, उसी प्रकार मनुष्य प्रकृति रूपी कन्याओं का पूजन करके साक्षात् भगवती की कृपा पा सकते हैं।

साथ ही यह भी माना जाता है कि नौ कन्याओं को नौ देवियों के प्रतिबिंब के रूप में पूजने के बाद ही भक्त का नवरात्र व्रत पूरा होता है। अपने सामर्थ्य के अनुसार उन्हें भोग लगाकर दक्षिणा देने मात्र से ही मां दुर्गा प्रसन्न हो जाती हैं।

कब से शुरू होती है कन्या पूजा

नवरात्रि के पहले दिन ही कलश स्थापना के साथ ही घर में मां दुर्गा को विराजित किया जाता है, अखंड ज्योत जलाई जाती है। पूरे नौ दिनों तक व्रत रखा जाता है। हर दिन मां के अलग रूप की पूजा भा की जाती है।

वहीं नवरात्रि की सप्तमी तिथि से कन्या पूजन शुरू होता है। इस दौरान नौ कन्याओं को घर बुलाकर उनकी आवभगत की जाती है। उन्हें भोजन करवाकर उनकी पूजा की जाती है, दक्षिणा दी जाती है।दुर्गाष्टमी और नवमी के दिन इन कन्याओं को नौ देवी का रूप मानकर इनका स्वागत किया जाता है। माना जाता है कि कन्याओं का देवियों की तरह आदर-सत्कार और भोज कराने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को सुख-समृद्धि प्रदान करती हैं।

 

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