गोवर्धन पूजा 2020: इस गीत से भगवान को करें खुश, मिलेगा धन और वैभव

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी उंगली से गोवर्धन पर्वत उठाकर इंद्र का अहंकार तोड़ा था।

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी उंगली से गोवर्धन पर्वत उठाकर इंद्र का अहंकार तोड़ा था। मान्यता के अनुसार जब भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलधार वर्षा से बचने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाकर रखा था, जिसमें सभी को वर्षा से बचाने में कामयाब रहे और इसके बाद जब सातवें दिन भगवान ने गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा तब से हर साल इस दिन गोवर्धन पूजा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन मंदिरों में विविध प्रकार की खाद्य सामग्रियों से एक खास प्रसाद बनाया जाता है जिसे अन्नकूट कहते हैं।

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इस दिन इस खास गीत से भगवान को खुश करें……..

गोधन गीत गोधन माडू रे तू बड़ों
तोसू बड़ों ना रे कोये
गोधन उतरो रे पार सू
उतरो गढ़ के रे द्वारे
कल टिको हैं रे जाट के तो आज गूर्जर के रे द्वारे उठके सपूती रे पूज ल
गोधन ठाडो रे द्वारे ठाडो हैं तो रे रहन द
गौद जडूलो रे पूते गोधन पूजे राधिका भर मोतियन को रे
थारे एक जो मोती रे गिर गयो तो ढूंढे सवरे रे ग्वारे कारी को खैला बेच क ओझा लूँगी रे
छुटाए इतने प भी न छुटो तो बेचू गले को रे हारे कारी-भूरी रे
झोटियाँ चलती होड़ा रे होडे कारी प जड़ दू रे खांकडो
भूरी प जड़ दू रे हाँसे कैसो तो कई य रे भोजला
कैसी वाकि रे मोछे भूरी मोछन को रे भोजला हिरन सिंगाडी रे
आंखे बंगरी बैठो रे मैमदो मुड मुड दे रो रे असीसे अजय विजय सुरेश इतने बाढियो गंग-जमन के रे
असीसे छोटे-बड्डे इतने रे बाढियो गंग-जमन के रे नीरे

 

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