गोवर्धन पूजा के दिन जरूर पढ़ें यह मंत्र, होगा ये बड़ा लाभ
गोवर्धन पूजा बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है। प्रायः दीपावली पूजन के अगले दिन ही गोवर्धन पूजन का त्योहार पड़ता है।
गोवर्धन पूजा बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है। प्रायः दीपावली पूजन के अगले दिन ही गोवर्धन पूजन का त्योहार पड़ता है। यह पूजा कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनायी जाती है। लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। इस त्यौहार का भारतीय लोकजीवन में काफी महत्व है।
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गोवर्धन पूजा विधि
इस दिन सुबह के समय गाय के गोबर से गोवर्धन बनाएं। शास्त्र में उसको शिखर प्रयुक्त, वृक्ष-शाखादि से संयुक्त और पुष्पादि से सुशोभित बनाने का विधान है, किन्तु अनेक स्थानों पर उसे मनुष्य के आकार का बनाकर पुष्पों, लताओं आदि से सजाते हैं। शुभ मुहूर्त में उसका धूप, दीप, नैवेद्य, जल, फल, फूल, खील, बताशे आदि से पूजन करें। पूजा के बाद गोवर्धनजी की जय बोलते हुए सात बार उनकी परिक्रमा करें। गोवर्धनजी लेटे हुए पुरुष के रूप में बनाए जाते हैं। इनकी नाभि की जगह एक कटोरी या मिट्टी का दीपक रखा जाता है। पूजा के समय ‘गोवर्धन धराधार गोकुलत्राणकारक। विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रदो भव।।’ से उनकी प्रार्थना करें। इसके बाद गायों का आवाहन करके उनका यथा-विधि पूजन करें और ‘लक्ष्मीर्या लोकपालानां धेनुरूपेण संस्थिता। घृतं वहति यज्ञार्थे मम पापं व्यपोहतु।।’ से उनकी प्रार्थना करें।
पढ़ें यह मंत्र –
पहला मंत्र – ‘ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने ।। प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः।।’
दूसरा मंत्र – ‘ॐ नमः भगवते वासुदेवाय कृष्णाय क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः।’
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