SBI के टीजर लोन से रियल्टी सेक्टर को मिल सकता है बूस्ट, घर खरीदना होगा आसान

infra_14मुंबई। देश के सबसे बड़े लेंडर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने एक समय विवादित रहे टीजर लोन को दुबारा शुरू करने की अनुमति मांगी है। अगर ऐसा होता है तो देश में कुछ समय के लिए रियल्टी बाजार को बूस्ट मिल सकता है, लेकिन यहां सवाल उठता है कि क्या इसका फायदा कस्टमर को होगा या रियल्टी कंपनियां इसका फायदा उठाकर अपनी अनसोल्ड इन्वेंट्री को निकालने में कामयाब होंगी।
 देश ने सबसे बड़ा पब्लिक बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) से टीजर लोन दोबारा से शुरू करने की अनुमति मांगी है। एसबीआई की चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्या ने गुरुवार को एसबीआई कॉनक्‍लेब में आरबीआई गर्वनर रघुराम राजन से टीजर लोन देने की अनुमति मांगते हुए कहा कि रियल एस्टेट सेक्टर में अनसोल्ड इन्‍वेंट्री दो साल के टॉप पर है। टीजर लोन की शुरुआत करने से मांग बढ़ेगी। मौजूदा समय में एनपीए बहुत कम है। इसलिए अभी कुछ समय के लिए टीजर लोन शुरू किया जा सकता है।
आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने एसबीआई कॉन्‍क्‍लेव में कहा, ‘मेरा मानना है कि रियल एस्टेट मार्केट में मांग बढ़ाने के लिए डेवलपर्स को कीमत कम करनी चाहिए। हम चाहते हैं कि पारदर्शिता आए और अनसोल्ड इन्वेंट्री की संख्‍या में कमी आए। हम इसके लिए होम लोन देने की प्रक्रिया को आसान बना सकते हैं। हालांकि, इसके साथ कीमत भी कम होनी चाहिए। कीमत अधिक होने से मांग नहीं बढ़ पाएगी। कीमतें कम होने से लोग घर खरीदना शुरू कर देंगे।’ राजन ने कहा, ‘हम एसबीआई के टीजर लोन के प्रस्ताव पर विचार करेंगे।’
 एसबीआई चेयरपर्सन भट्टाचार्या ने कहा कि 2008 में अर्थव्‍यवस्‍था में सुस्ती थी लेकिन एसबीआई द्वारा टीजर लोन शुरू करने से मांग तेजी से बढ़ी थी। हालांकि, राजन की बातों को दोहराते हुए उन्‍होंने कहा कि डेवलपर्स को प्रॉपर्टी की कीमत कम करनी चाहिए जिससे मांग बढ़े। एसबीआई ने टीजर लोन शुरू करने की अनुमति रियल एस्टेट सेक्टर में बढ़ती अनसोल्ड इन्‍वेंट्री के बोझ को कम करने और बायर्स को आकर्षित करने के लिए मांगी है।
क्‍या होता है टीजर लोन
 टीजर लोन शुरुआती तौर पर एक सस्ता लोन होता है। इसके तहत कुछ समय तक यानी लगभग दो या तीन साल के लिए ब्याज दरें कम कर दी जाती हैं। कुछ मामलों में यह पांच साल भी हो सकता है। लेकिन इसके बाद ब्याज दरें बढ़ जाती हैँ। शुरुआत में ब्याज दरें जानबूझकर कम रखी जाती हैं ताकि ग्राहकों को आकर्षित किया जा सके। बाद में इसकी दरें बढ़ा दी जाती हैं या इसे फ्लोटिंग रेट में ट्रांसफर कर दिया जाता है। बैंक के नजिरए से देखें तो इससे उसके मुनाफे पर फर्क पड़ता है। हालांकि यह रणनीति इसलिए कारगर रहती है, क्योंकि बैंक इसके माध्यम से ऐसे कस्टमर्स को लुभाने में कामयाब रहता है जो ऊंचे इंटरेस्ट रेट्स की मार से जूझ रहे होते हैं। क्या टीजर लोन वास्तव में फायदेमंद होते हैं? क्या उन्हें बैंकों की इस तरह की चालबाजियों में फंसना चाहिए? अगर सकारात्मक पहलू को देखें तो टीजर लोन कस्टमर की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता हासिल करने के लिहाज से फायदेमंद हो सकते हैं, क्योंकि लगभग 2 साल तक उसका बैंक के साथ जुड़े रहने का काफी महत्व है। इसके अलावा माना जाता है कि लंबे समय तक दरें ऊंची रहने के बाद नीचे आएंगी और अगर यह अनुमान सही होता है तो टीजर लोन अवधि खत्म होने के साथ कस्टमर लोन को नीची फ्लोटिंग रेट में कन्वर्ट कर लेता है तो उसे दोहरा फायदा होगा।
 

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