कौशांबी: इस कारण ग्रामीण गाँव को नहीं होने दे रहे नगर पंचायत
कोरोना महामारी के चलते हुए लॉक डाउन का असर अब कौशांबी जनपद में दिखने लगा हैं।
कोरोना महामारी के चलते हुए लॉक डाउन का असर अब कौशांबी जनपद में दिखने लगा हैं। जनपद के चरवा गांव को शासन नगर पंचायत का दर्जा देना चाहता हैं, लेकिन उसके बाद लगने वाले शुल्क से गांव के लोग चिंतित हैं। क्योंकि यहा पर रोजगार का कोई भी साधन नही हैं। जो हैं भी लॉक डाउन के बाद उसकी हालत भी ख़राब हैं। यही कारण हैं कि ग्रामीण नही चाहते हैं कि ग्राम पंचायत को नगर पंचायत (Nagar Panchayat) का दर्जा दिया जाए। इसके लिए ग्रमीणों ने कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन भी किया हैं।
मजरे वाले चरवा को नगर पंचायत (Nagar Panchayat) का दर्जा दिए जाने का प्रयास चल रहा है। प्रक्रिया के बीच में ही गांव के लोगों ने इसका विरोध कर दिया। गांव के करीब 100 लोगों से अधिक का हस्ताक्षर युक्त पत्र ग्रामीणों ने जिला अधिकारी को सौंपा है। आंकड़ों के मुताबिक गांव की करीब 90 फीसद आबादी गरीब है। वह मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करते है। यहां किसी भी तरह को नगरीय माहौल नहीं है। यहां का मुख्य रोजगार कृषि और मजदूरी है। यह गांव नगर पंचायत बनने के मानक भी नहीं पूरा करता। नगर पंचायत बनने पर विकास तो होगा लेकिन ग्रामीण को सुविधा का शुल्क देना होगा।
पूर्व में भी गजट प्रकाशित होने पर गांव के लोगों ने विरोध किया था। ग्रमीण राजू ने बताया कि ग्राम पंचायत में नौ हजार से अधिक जॉबकार्ड धारक मजदूर हैं। इनमें तीन हजार 677 परिवार बीपीएल हैं। जबकि 912 परिवार इससे भी नीचे की श्रेणी में आते हैं। चरवा के सभी 27 मजरों का लगभग यही हाल है। नगर पंचायत (Nagar Panchayat) बनने के बाद इनका यह भी रोजगार छीन जाएगा। गंभीर आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार भी बढ़ जाएगा। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि यहां पर भूमाफिया हावी हैं। ऐसे में चकबंदी कराकर अनाधिकृत कब्जे को हटाते हुए गांव का विकास किया जाए। ग्रामीणों ने अपनी मांगों का ज्ञापन देकर जिलाधिकारी से इसको लेकर सार्थक पहल की बात कही है।
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