कोरोना संकट के बीच क्या डोनेट कर सकते हैं ब्लड ? जानिए रक्तदान से जुड़े सभी मिथ और सच्चाई

कोरोना वायरस महामारी के बीच रक्तदान का महत्व एक बार फिर इस तरफ ध्यान खींचता है. महामारी के दौरान, जब लॉकडाउन के चलते कहीं भी जाना वाकई मुश्किल था और अन्य कई चुनौतियां भी थीं, के बावजूद भारत सहित कई अन्य देशों में ब्लड डोनर्स ने रोगियों के ब्लड और प्लाज्मा डोनेट किया.

रक्तदान का अर्थ सिर्फ खुद के दान से नही होता बल्कि रक्तदान से अभिप्राय किसी जरूरतमंद को जीवन के दान से है, साथ ही आप जरूरतमंद व्यक्ति और उसके परिवार वालों को खुशियाँ भी दान में देते हो. इससे आपको ऐसी ख़ुशी मिलती है जिसे बयाँ नही किया जा सकता. इस अहसास को व्यक्ति तभी अनुभव कर सकता है जब उसने किसी के लिए रक्तदान किया हो.

हालांकि, पिछले महीने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने ‘द लैंसेट’ द्वारा रिकवरी क्लिनिकल परीक्षण के रिजल्ट प्रकाशित करने के बाद अपने क्लिनिकल मैनेजमेंटप्रोटोकॉल से कोविड -19 के लिए दीक्षांत (convalescent) प्लाज्मा के उपयोग को हटा दिया. मेडिकल जर्नल ने उल्लेख किया कि अधिक मात्रा में रोगी को एंटीबॉडी के साथ ब्लड और प्लाज्मा चढ़ाने से 28 दिनों के बाद रोगी के जीवित रहने की संभावना में सुधार करने में विफल साबित हुआ.

सोचों कि अगर हमारे सामने कोई व्यक्ति अपनी मौत से लड़ रहा होता है और आप उसके जीवन को बचाने में उसकी सहायता करते हो तो सोचो की आपको कैसा अनुभव होगा. आप उसी वक्त नींद से जाग जाते हो और आपको जीवन का असली महत्व समझ में आता है.

 

 

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