मुन्ना बजरंगी हत्याकांड: जैसे-जैसे गुनाह की फाइलें मोटी होती गईं, बढ़ता गया सुनील राठी का रुतबा

लखनऊ। 18 सालों से जेल की ऊंची दीवारों के पीछे कैद कुख्यात सुनील राठी के गुनाह की फाइलें जैसे-जैसे मोटी होती गई, वैसे वैसे अपराध जगत में उसका रुतबा बढ़ता रहा। राठी ने लंबे अरसे तक हरिद्वार को अपना ठिकाना बनाए रखा।

हरिद्वार के कनखल से ही उसे पहली बार गिरफ्तार किया, लेकिन उसके बाद उसने जेल से अपना आपराधिक नेटवर्क संचालित किया। उत्तराखंड से लेकर यूपी तक उसने बड़ी वारदातों को अंजाम देकर अपना ऐसा वर्चस्व कायम किया है, जिसे तोड़ने में पुलिस तंत्र नाकाम रहा।

वर्ष 2000 में पिता नरेश राठी, समर्थकों की पारिवारिक रंजिश में हत्याएं होने के बाद राठी ने अपराध जगत में कदम रखा था। पिता की हत्या के बदले में राठी ने भी कई हत्याएं की थी और वह बागपत पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा था। चूंकि तब हरिद्वार भी यूपी का ही हिस्सा हुआ करता था, सो राठी ने हरिद्वार में पनाह ली थी।

उत्तराखंड बनने के बाद उसने हरिद्वार से नेटवर्क संचालित किया। कनखल की शिवपुरी कॉलोनी में राठी का एक मकान उसका ठिकाना बना और तब उसकी पहली बार गिरफ्तारी हुई थी। तब से अब तक राठी का ठिकाना दिल्ली, यूपी, उत्तराखंड की जेलें ही रही है।

अपराध को ही बना लिया उद्योग

राठी ने हरिद्वार से ऑपरेट कर अपराध को ही उद्योग बना लिया। रंगदारी, विवादित भूमि के प्रकरणों में दखल बढ़ाया। कुख्यात राठी के इशारे पर एक के बाद एक हत्याएं होती रही, उसका कद लगातार ऊंचा होता रहा।

इधर, सिस्टम हर वारदात के बाद राठी पर नकेल कसने का दावा भले ही करता रहा लेकिन समय समय पर राठी दावे की हवा हर नई वारदात को अंजाम दिलवाकर दिलाता रहा। अब यूपी के माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी का कत्ल कर राठी फिर से चर्चा में आ गया।

 

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