कलाम की आखिरी किताब ने सबको चौंकाया, अमेरिका के दबाव में था भारत

नई दिल्ली। साल 1989 में अग्नि मिसाइल के परीक्षण से महज कुछ घंटे पहले अभियान के अगुआ रहे एपीजे अब्दुल कलाम को भारत सरकार के एक बड़े अधिकारी का फोन आया। यह अधिकारी कोई और नहीं खुद टीएन शेषन थे। वह उस समय प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कैबिनेट सचिव थे। इस कॉल से कलाम को पता चला कि मिसाइल के प्रक्षेपण में देरी के लिए अमेरिका और नाटो की तरफ से जबर्दस्त दबाव बनाया जा रहा है। इस घटना का जिक्र स्वर्गीय कलाम की लिखी आखिरी किताब ‘एडवांटेज इंडिया : फ्रॉम चैलेंज टू अपॉच्र्यूनिटी’ में किया गया है। हार्पर कोलिंस इंडिया द्वारा प्रकाशित की जा रही यह किताब जल्द बाजार में आने वाली है।
कलाम के मुताबिक, प्रक्षेपण के कुछ ही घंटे पहले तड़के तीन बजे हॉटलाइन पर एक फोन आया। इसका कोई अच्छा अर्थ नहीं था। शेषन ने पूछा था कि अग्नि को लेकर हमारी क्या प्रगति है? फिर बिना मेरे जवाब का इंतजार किए उन्होंने कहा कि मिसाइल परीक्षण में देरी को लेकर अमेरिका और नाटो की तरफ से हम जबर्दस्त दबाव में हैं। इस वक्त कई असरदार राजनयिक चैनल काम पर जुटे हैं। तभी उन्होंने तुरंत पहला सवाल दागा, ‘कलाम अग्नि को लेकर हमारी क्या प्रगति है?’ कलाम के लिए इस सवाल का जवाब देना बहुत कठिन था। वह लिखते हैं, ‘कुछ ही सेकंड में मेरे दिमाग ने लंबा सफर तय कर लिया। मुझे पता था कि अमेरिका हमारे प्रधानमंत्री पर दबाव डाल रहा है। दूसरी तरफ हमारे युवा वैज्ञानिकों का एक दशक का परिश्रम था।’ कलाम ने लिखा कि मैंने अपना गला साफ किया। फिर कहा कि सर मिसाइल उस बिंदु पर है, जहां से वह लौट नहीं सकती है। हम उसे परीक्षण के ट्रैक से वापस नहीं ला सकते हैं। अब बहुत देर हो चुकी है।
कलाम को अपने बॉस और शेषन से बहस की आशंका थी। लेकिन लगभग चार बजे शेषन ने फिर फोन किया। उन्होंने कहा, ‘ठीक है। आगे बढ़ो।’ इसके तीन घंटे बाद 22 मई, 1989 को अग्नि का परीक्षण संपन्न हो गया। यह उन समर्पित युवा वैज्ञानिकों के अथक परिश्रम का नतीजा था, जो धरती पर किसी दबाव के आगे नहीं झुके।
मेक इन इंडिया को लेकर कलाम ने किया था आगाह
दिवंगत राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम मेक इन इंडिया अभियान के प्रति थोड़े से शंकित थे। उन्होंने कहा था कि हालांकि यह अभियान काफी महत्वाकांक्षी है, लेकिन यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि भारत दुनिया का कम लागत वाला और सस्ता निर्माण केंद्र न बनकर रह जाए। राजग सरकार ने पिछले साल सितंबर में मेक इन इंडिया की शुरुआत की थी। कलाम ने लिखा कि भारत का ढांचागत विकास असंतुलित रहा है। विभिन्न राज्यों और विभिन्न सेक्टरों में भारी असमानता है। जैसे कि दूरसंचार एवं इंटरनेट सेक्टर ने महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन कई गांवों तक अभी भी सड़कें और बिजली नहीं हैं। निर्माण वृद्धि के लिए जरूरी ढांचे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। डॉ. कलाम ने लिखा है कि हम कहीं दुनिया में कम लागत वाला और सस्ता निर्माण केंद्र बनकर न रह जाएं। अगर हम उस रास्ते पर जाते हैं, तो विकास के बदले जनता को एक बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।
इस पुस्तक में 27 जुलाई को कलाम का आइआइएम-शिलांग में दिया जा रहा अधूरा भाषण भी है। भाषण देने के दौरान ही वह लड़खड़ाकर गिर गए थे, जिसके कुछ समय बाद उनके निधन की घोषणा कर दी गई थी।
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