जब एक भारतीय ने पूछा, जुकरबर्ग साहब, ‘कैंडीक्रश की रिक्वेस्ट से कैसे बचें!’

नई दिल्ली। फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग जब भारत में दिल्ली के आईआईटी में छात्रों और शिक्षकों से रूबरू हुए तो उनसे पहला सवाल यही किया गया कि आपकी भारत में इतनी रूचि क्यों है। इस सवाल का जवाब देते हुए जुकरबर्ग ने कहा कि भारत फेसबुक के लिए सबसे बड़ा बाजार है। भारत के बिना दुनिया को कनेक्ट नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत के लोगों को जोड़ना बहुत जरूरी है, भारत फेसबुक कम्युनिटी की दूसरी सबसे बड़ी कम्युनिटी है।
वहीं कैंडीक्रश की रिक्वेस्ट से बचने का क्या रास्ता है? इस सवाल पर जुकरबर्ग बोले कि हम जल्द ही इसका समाधान निकालेंगे। एक छात्र ने जुकरबर्ग से पूछा कि भविष्य में फेसबुक क्या नये फीचर्स लेकर आयेगा? इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि नेत्रहीनों के लिए फेसबुक पर कुछ नये फीचर्स लाये जायेंगे। इसके अलावा सुरक्षा के लिए भी कई फीचर्स लाये जायेंगे।
जब जुकरबर्ग से पूछा गया कि आप ज्यादा से ज्यादा लोगों को फेसबुक से क्यों जोड़ना चाहते हैं और आप इसे कैसे करेंगे? इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि यह एक मूल सवाल है, मैं लोगों के जीवनस्तर को सुधारने के लिए उन्हें इंटरनेट से जोड़ना चाहता हूं। 1500 मिलियन लोगों को इंटरनेट से जोड़ना शानदार अनुभव है, लोगों के जीवनस्तर को ऊंचा करने लिए और लोगों को शिक्षित करने के लिए, जन-जागरुकता के लिए भी इंटरनेट जरूरी है।
जुकरबर्ग से पूछा गया कि जिनके पास इंटरनेट एक्सेस नहीं है, उन्हें कैसे जोड़ेंगे? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि यहां कई लोग स्टूडेंट और इंटरप्रिन्योर मौजूद हैं, जिनके बारे में अभी दुनिया नहीं जानती है। मैं इन लोगों के बारे में गहरी रुचि रखता हूं। हम कोशिश करेंगे कि इन लोगों से जुड़े रहें।
जब जुकरबर्ग से पूछा कि गरीबी को कैसे खत्म करेंगे? शिक्षा का लेवल कैसे उठाएंगे? जुकरबर्ग ने कहा कि यह दिलचस्प एरिया है। हम फेसबुक पर शेयर का पावर देते हैं। एक दूसरे से जुड़ने का मौका देते हैं। हमने पांच साल पहले एक प्रोग्राम ले कर आए हैं। कैलिफोर्निया, न्यूयॉर्क में हम न्यू स्कूल मॉडल देने की कोशिश कर रहे हैं। हम इसके रिजल्ट देखने को लेकर उत्साहित हैं। अफ्रीका में नए तरीके से स्कूल खोल रहे हैं। इंडिया में भी हम इस एरिया में काम करना चाहते हैं। स्कूल में इंटरनेट कनेक्टिविटी रहने से छोटे स्कूल में भी हम सारी सुविधाएं दे सकते हैं। यह साइंस को आगे ले जाने में मदद देगा।
एक छात्र ने जुकरबर्ग से पूछा कि आप रिसर्च लैब खोलने की कोशिश कर रहे हैं। इसमें क्या अवसर है? फ्यूचर प्रोडक्ट क्या होंगे? जुकरबर्ग ने कहा कि हम ऐसा कंप्यूटर सिस्टम बनाते हैं, जो ह्यूमन सेंस की तरह काम करे। यह देख सके, सुन सके, ट्रांसलेट कर सके, जो भी बेसिक ह्यमून सेंस हैं उन्हें पहचान सके। ये आपदा के वक्त अच्छा काम करेगा।
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