बीजेपी अगर गलती से जीती तो देश गड्ढे में: नीतीश

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव अपने निर्णायक दौर में प्रवेश कर गया है। आत्मविश्वास से भरे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को कहा कि उन्हें तीसरी बार बिहार के सीएम के तौर पर तीसरी बार कार्यकाल संभालने को लेकर आश्वस्त हैं और उन्हें पीएम मोदी के नेतृत्व में एनडीए से कोई खतरा महसूस नहीं हो रहा। साथ ही, बेहद बेबाकी से उन्होंने यह भी माना कि राजनैतिक हालात और तस्वीर में एक बदलाव जरूर आया है।
नीतीश ने कहा, ‘अगर चूक से बीजेपी जीत जाती है तो इस देश के गहरे गड्ढे में चले जाने का खतरा है। बीजेपी ने केंद्र में पिछले 17 महीने की अपनी सरकार के दौरान कुछ भी खास नहीं किया है। ना ही उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान किए गए अपने वादों को ही पूरा किया है और ना ही उन्होंने सुशासन का ऐसा कोई उदाहरण पेश किया है जिसका अनुसरण किया जा सके।’
उन्होंने कहा, ‘बीजेपी का सारा ध्यान एक राज्य में चुनाव जीतने पर लगा है। एक राज्य के चुनाव के बाद अगले राज्य में चुनाव जीतना उनका मकसद बन गया है। उन्हें केंद्र में सरकार चलाने और लोगों की सेवा के लिए जनता ने चुना, लेकिन उन्हें सत्ता और पूरी ताकत चाहिए और इसी योजना पर वह काम कर रहे हैं।’
इस बात को सिरे से नकारते हुए कि उनका महागठबंधन और बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए में कांटे की टक्कर है, नीतीश ने कहा, ‘बिहार में कोई कांटे की टक्कर नहीं है। यहां कुछ भी कांटे की टक्कर जैसा नहीं होता है। बीजेपी राजनैतिक प्रचार और उत्सुकता जगाने की कोशिश कर रही है। दिखावा करने में वे माहिर हैं। तकनीक का इस्तेमाल कर वे प्रचार करना चाहते हैं।’
नीतीश ने कहा कि बीजेपी को 2014 में बिहार में विशाल जनसमर्थन मिला था। उन्होंने कहा कि इसका कारण यह था कि उस समय लालू यादाव और उनके वोट विरोधी खेमे में होने के कारण आपस में बंट गए थे। नीतीश ने कहा, ‘बीजेपी के पास बिहार में मजबूत आधार नहीं है। उन्हें पिछले साल लोकसभा चुनाव में सफलता मिली क्योंकि मेरे और लालू जी के वोटों में बंटवारा हो गया था, लेकिन इस बार हालात बदले हुए हैं।’
नीतीश ने कहा, ‘केवल मीडिया ही बीजेपी का महागठबंधन के साथ कांटे की टक्कर बता रहा है। बीजेपी को चुनाव के पहले 2 चरणों के मतदान के बाद पक्के तौर पर हतोत्साहित होना पड़ा है। हम सीटों के बारे में बात नहीं करते, ना ही चुनावी लड़ाई के बारे में बात है। हम सब जानते हैं कि चुनाव की प्रक्रिया चल रही है और हमें गंभीरता के साथ प्रतियोगिता करनी चाहिए। हमें अपने विरोधियों को चूका हुआ नहीं मानना चाहिए। हमें अपने विरोधियों को ना तो कमजोर आंकना चाहिए ना ही कमजोर मानना चाहिए। ना ही हमें उन्हें मजबूत मानना चाहिए। हम यही कर रहे हैं।’
नीतीश की यह बात बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के हाल ही में किए गए उस दावे का जवाब थी जिसमें उन्होंने कहा था कि एनडीए पहले चरण की 34 सीटों में से 32 सीटें जीतेगा और दूसरे चरण की 24 सीटें भी जीतेगा। बुधवार को हुए तीसरे चरण के मतदान के बाद बीजेपी ने कहा कि एनडीए 50 में से 40 सीटें हासिल करेगा।
अपने धुर-विरोधी नरेंद्र मोदी और उनकी केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दावा किया कि मोदी ने भले ही केंद्र में अपनी सरकार बनाने में सफलता हासिल कर ली है, लेकिन वह देश का नेतृत्व करने में असफल रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘नरेंद्र मोदी ने किसी तरह सरकार तो बना ली, लेकिन वह इस देश को चलाने में असमर्थ रहे हैं। आप (बीजेपी) बहुमत में हैं, इसलिए 2019 तक कोई खतरा नहीं है। आपने केंद्र में सरकार बना ली है, लेकिन आप संसद चलाने में भी समर्थ नहीं हैं।’
उन्होंने आगे कहा, ‘अगर आप समय पर कार्रवाई नहीं करेंगे तो आपको दिक्कतें और इस देरी के परिणाम झेलने पड़ेंगे। मौजूदा समय में हमारे समाज में असहनशीलता बहुत बढ़ गई है। आज कई लेखक अपने साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने को मजबूर हो गए हैं। वे देश की मौजूदा हालत से बेहद दुखी और उदास हैं। कोई राहत नहीं है। सरकार में जो कोई भी है वह अपनी जिम्मेदारियां और कर्तव्य नहीं पूरा कर रहा है।’
नीतीश कुमार ने कहा कि एक समय में नरेंद्र मोदी के खास सहयोगी रहे अरुण शौरी और राम जेठमलानी जैसे लोग अब उनके मजबूत आलोचक हो गए हैं। नीतीश ने कहा कि यह शायद मोदी की ‘आक्रामकता’ का नतीजा है। उन्होंने कहा कि मोदी सत्ता और ताकत का केंद्रीकरण चाहते हैं और सहमति से काम नहीं करना चाहते हैं।
नीतीश ने कहा, ‘पिछले साल चुनाव के समय राम जेठमलानी और अरुण शौरी नरेंद्र मोदी के समर्थक थे। जेठमलानी पटना आए और उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। उन्होंने वन रैंक-वन पेंशन के लिए संघर्ष कर रहे लोगों के लिए अपना समर्थन जाहिर किया और आरक्षण व काला धन का मुद्दा भी उठाया।’ नीतीश ने आगे कहा, ‘अब अरुण शौरी ने भी मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उनके जैसे लोग जिन्होंने कि प्रधानमंत्री मोदी के व्यक्तित्व का विकास करने में अपनी पूरी ताकत झोंक दी, वही लोग अब मोदी और उनकी सरकार की आलोचना कर रहे हैं।’
शौरी ने हाल ही में कहा था कि मोदी मीडिया की ‘हेडलाइन मैनेज’ कर अर्थव्यवस्था को संभालने में यकीन रखते हैं। शौरी ने कहा था आम जनता अब मनमोहन सिंह की सरकार को याद करने लगी है। उन्होनें कहा था, ‘डॉक्टर सिंह को लोग याद करने लगे हैं। इस सरकार का जो चरित्र है उसे बताने के लिए कहा जाएगा- कांग्रेस प्लस एक गाय (मौजूदा सरकार कांग्रेस जैसी ही है, बस उसमें एक गाय का अतिरिक्त मुद्दा जुड़ गया है)। नीतियां दोनों की एक जैसी ही हैं।’
जेठमलानी ने हाल ही में पटना में कहा था कि बीजेपी को बिहार विधानसभा के चुनाव में हारने की जरूरत है। उन्होंने कहा था कि बीजेपी काला धन देश में वापस लाने के अपने चुनावी वादे को निभाने में नाकामयाब रही है। उन्होंने यह भी दावा किया कि मोदी और अरुण जेटली की बात पर भरोसा कर उन्हें ठगा गया है।
जब साक्षात्कार के दौरान यह कहा गया कि पीएम की रैलियों में काफी भीड़ जमा हो रही है और मोदी की लोकप्रियता बनी हुई है, नीतीश कुमार ने विरोध के स्वर में कहा कि उन्हें लगता है कि मोदी की सभी रैलियां या फिर उनमें से ज्यादातर प्रायोजित होती हैं।
नीतीश कुमार ने कहा, ‘पीएम नरेंद्र मोदी की रैलियां जो बीजेपी आयोजित करती है, प्रायोजित होती हैं। वे कई जगह से लोगों को लाकर जमा करने की कोशिश करते हैं। हमारा चुनाव अभियान लोगों के साथ सभाओं पर केंद्रित है। हमारी सभाएं विधानसभा क्षेत्रों पर केंद्रित हैं। चाहे मैं हूं, या फिर सोनिया जी, राहुल गांधी, गुलाम नबी आजाद, मीरा कुमार या फिर शरद यादव, हमारे कार्यक्रम विधानसभा क्षेत्रों के मुताबिक बनाए जाते हैं।’
तांत्रिक के साथ मुलाकात के विवाद पर बोलते हुए नीतीश ने कहा, ‘मैं कभी अपनी इच्छा से आगे बढ़कर तांत्रिक के पास नहीं गया। मैं कैसे खतरे में हूं? मेरे एक समर्थक ने मुझसे कहा कि उसे तांत्रिक में भरोसा है और वह मुझसे मिलना चाहता है। मैंने कहा कि मैं उससे मिलने के लिए तैयार हूं और उसे पटना लाने की जरूरत नहीं है। यह बात डेढ़ साल पहले पटना में हुई थी। वह एक अघोड़ था और स्वाभाविक तौर पर अघोड़ियों की भाषा में बात करता था। मैं उसकी बात सुनकर मुस्कुराता रहा। बीजेपी ने जो जारी किया है कि वह हमारे एक एमएलसी नीरज कुमार के मोबाइल से ली गई एक तस्वीर है।’
उन्होंने कहा, ‘अगर मैं बिना किसी को बताए तांत्रिक से मिलने गया होता तो मैंने एमएलसी को उसकी तस्वीर लेने के लिए नहीं कहा होता। मुझे तस्वीर लिए जाने में कोई आपत्ति नहीं थी और मैं तांत्रिक की बात सुनता रहा। क्या आपने विडियो में मुझे कुछ कहते हुए सुना है। क्या मैंने ऐसा कहा है कि बाबा, मैं परेशानी में हूं। मुझे बचा लीजिए और मेरे दुश्मनों को खत्म कर दीजिए। क्या मैंने कुछ भी कहा है?’
उन्होंने आगे कहा, ‘मैं वहां कुछ देर बैठा और उसे सुनता रहा। उसने लालू जी के बारे में जो भी कहा वह डेढ़ साल पहले की बात है। उस समय मैंने और लालू जी ने गठबंधन किया ही था। बीजेपी क्या साबित करना चाहती है? क्या हम लोगों से मिल भी नहीं सकते हैं? मुझे कोई दिक्कत नहीं है अगर कोई अघोड़ मुझसे मिलता है और अपना प्यार-आशीर्वाद मुझे देता है।’
बीजेपी द्वारा जारी किए गए जून 2014 के इस विडियो में एक तांत्रिक नीतीश कुमार गले लगा रहा है। वह तांत्रिक ‘लालू मुर्दाबाद’ भी कह रहा है।
नीतीश ने कहा, ‘इस केंद्र सरकार ने किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल नहीं की है। फिर चाहे वह अंतरराष्ट्रीय, कूटनीतिक, आर्थिक या फिर सामाजिक किसी भी क्षेत्र में कोई कामयाबी हासिल नहीं की है। पिछले 17 महीनों में उन्होंने जो भी वादे किए वे पूरे नहीं हुए। यह सरकार हर मोर्चे पर नाकामयाब रही है। आखिर कितने दिन तक लोग तथाकथित अच्छे दिन का इंतजार करेंगे। लोग मजाक करने लगे हैं कि पीएम अपने अच्छे दिन अपने पास रखें और उन्हें उनके पुराने दिन लौटा दें। कम-से-कम तब लोगों को 200 रुपये किलो से कम में दाल मिल सकेगी।’
नीतीश कुमार ने कहा कि वह महात्मा गांधी के आदर्शों में यकीन करते हैं। उन्हें राममनोहर लोहिया और जयप्रकाश नारायण के दिखाए और बताए गए रास्ते पर भी यकीन है। नीतीश ने कहा कि यही लोग उनके आदर्श हैं।
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