राजकोट: टाइट सिक्युरिटी में स्टेडियम पहुंचे प्लेयर्स, हार्दिक हिरासत में


दर्शकों की भी कड़ी तलाशी
रविवार 11 बजे से ही दर्शकों का स्टेडियम पहुंचना शुरू हो गया। कड़ी तलाशी के बाद ही उन्हें अंदर जाने दिया गया। खिलाड़ियों के होटल के बाहर भी सिक्युरिटी थी। स्टेडियम के आसपास हर दोपहिया और चार पहिया गाड़ी की जांच की गई। स्टेडियम के गेट के सामने भीड़ इकट्ठी नहीं होने दी गई। पुलिस किसी तरह का जोखिम लेने के मूड में नहीं दिखी। शहर की एसएसपी गगनदीप गंभीर ने कहा कि अगर पाटीदारों की ओर से कोई भी गड़बड़ी की गई तो इसकी जिम्मेदारी हार्दिक पटेल की होगी।
माेबाइल इंटरनेट पर रोक
बता दें कि शनिवार रात दस बजे से रविवार सुबह आठ बजे तक शहर में मोबाइल इंटरनेट पर रोक लगा दी गई। ऐसा अफवाहों और लोगों को इकट्ठा होने के लिए भेजे जाने वाले मैसेजों को रोकने के मद्देनजर किया गया। इससे पहले, गुजरात में सोशल मीडिया और एसएमएस के जरिए एक मैसेज कई लोगों को भेजा गया। दावा किया गया कि यह मैसेज पटेल-पाटीदार आंदोलन की तरफ से भेजा गया। मैसेज में कहा गया- ‘अगर राजकोट वनडे के दौरान अगर पाटीदार के किसी भी लाल को खरोंच भी आई तो हार्दिक और लालजी (आंदोलन के दोनों नेता) किसी को भी नहीं छोड़ेंगे।’ वहीं, हार्दिक पटेल ने अलग बयान में कहा कि अगर मैच में पाटीदारों को दिक्कत हुई तो सभी को तकलीफ हो जाएगी।
राजकोट में वनडे से पहले क्यों थे हंगामे के आसार?
1. पटेल आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हार्दिक पटेल ने पिछले हफ्ते एलान किया था कि 18 अक्टूबर को राजकोट में भारत-साउथ अफ्रीका के बीच वनडे मैच के दौरान स्टेडियम के अंदर उनका प्रदर्शन होगा। हार्दिक ने यह भी दावा किया कि उनके आंदोलन से जुड़े 25 हजार लोग मैच के टिकट खरीदेंगे। लिहाजा, पूरे स्टेडियम में फैन्स के बीच ज्यादातर उनके ही लोग नजर आएंगे।
2. हार्दिक पटेल के एलान के बाद राजकोट पुलिस ने थ्री टियर सिक्युरिटी के इंतजाम कर दिए।
3. पुलिस ने सुरक्षा कड़ी कर दी तो हार्दिक ने कहा कि वे दोनों टीमों के खिलाड़ियों को स्टेडियम नहीं पहुंचने देंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके समुदाय के लोगों को मैच के टिकट नहीं दिए गए।
4. हार्दिक की एक और धमकी के बाद पुलिस ने उस रास्ते को ही सील कर दिया, जहां से दोनों टीमों को बसों में स्टेडियम तक पहुंचना था।
क्या है गुजरात में पटेल-पाटीदार कम्युनिटी का आंदोलन?
– पटेल-पाटीदार कम्युनिटी का रिजर्वेशन की मांग को लेकर आंदोलन ने अगस्त में गुजरात को हिलाकर रख दिया। 30 साल के बाद राज्य में इस पैमाने पर कोई आंदोलन हुआ। दिलचस्प यह है कि 30 साल पहले एक और आंदोलन आरक्षण के खिलाफ हुआ था, लेकिन इस बार आंदाेलन आरक्षण की मांग को लेकर हो रहा है।
– इस आंदोलन की अगुआई हार्दिक पटेल कर रहे हैं जो सिर्फ 22 साल के हैं।
क्या है पटेलों की मांग?
– पाटीदार-पटेल कम्युनिटी सरकारी नौकरियों और कॉलेजों में रिजर्वेशन की मांग कर रही है। पटेलों की मांग है कि उन्हें ओबीसी कैटेगरी चाहिए। आेबीसी में 146 कम्युनिटी पहले से लिस्टेड हैं। पटेल-पाटीदार खुद को 146वीं कम्युनिटी के रूप में ओबीसी की लिस्ट में शामिल कराना चाहते हैं।
गुजरात सरकार क्यों नहीं देना चाहती रिजर्वेशन?
गुजरात में इस समय ओबीसी के लिए 27% रिजर्वेशन है। पटेल अपर कास्ट हैं। इकोनॉमिकली और सोशली मजबूत हैं। इसी वजह से गुजरात सरकार ने उन्हें रिजर्वेशन देने से साफ मना कर दिया है।
राजनीतिक तौर पर कितने मजबूत हैं गुजरात के पटेल?
गुजरात में पटेलों की आबादी 20% है। गुजरात के 182 विधायकों में से 44 पटेल ही हैं। वहीं, लोकसभा की 26 सीटों में से 6 सांसद भी पटेल ही हैं।
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