लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं व संवैधानिक संस्थाओं को तोड़ने के उद्देश्य से कांग्रेस द्वारा रचा गया एक घटिया खेल
आज भारत के चार न्यायधीशों जस्टिस जे चेलमेस्वर, जस्टिस कुरियन जोसफ, जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस मैदान लोकुर ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ विद्रोह किया है।भारत के इतिहास में हुई आज ये घटना भारतीय न्यायिक व संवैधानिक इतिहास के ऊपर एक ऐसा दाग है जो कभी मिटने वाला नही है|
यदि आप को लग रहा है कि ये बहुत अच्छा हुआ है ऐसा करके उन्होंने देश की न्याय व्यवस्था को पारदर्शित किया है तो आप को बताना चाहूंगी की आप बिलकुल गलत सोच रहे है|ऐसा उन्होंने इसलिए नही किया क्यूँ की उन्हें सच में देश से लगाव है और वो देश के लिए चिंतित है बल्कि उन्होंने ऐसा इसलिए किया है तांकि सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक शक्ति को कमजोर किया जा सके और जनता को न्यायालय द्वारा लिए जा रहे फैसलों पर भ्रमित किया जा सके और उनके मन में शक विकसित किया जा सके|
सच तो यह है के ये सभी न्यायाधीश कांग्रेस से मिले हुए है और कांग्रेस के इशारों पर नाच रहे है|सीजीआई के खिलाफ लड़ाई करने के लिए आगे बढ़ रहा ये तंत्र शेखर गुप्ता की अगुवाई वाले मीडिया ईकोसिस्टम द्वारा समर्थित है जो की कांग्रेस के जूते चाटने वाला उनका पालतू कुत्ता है|
With the #Awardwapsigang #AfzalGuruSupporter ShekharGupta standing behind the judges & his closeness to the judges exposes the intent of this press conference. #JudiciaryDivided #JudgesAtWar#JudgesPressConference pic.twitter.com/AEzbgGxgji
— Ashoke Pandit (@ashokepandit) January 12, 2018
इस प्रेस कांफ्रेस को भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं व संवैधानिक संस्थाओं को तोड़ने के उद्देश्य से और मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की छवि को जनता के आगे खराब करने के लिए किया गया है पर जनता इनके औछे इरादों को समझती है और जानती है की असल में न्यातंत्र को कौन खोखला करने की कोशिश कर रहा है|
दरअसल कांग्रेस इसलिए न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ ऐसे खेल खेल रही है क्यूंकि वो कुछ ऐसे कड़े फैसले ले रहे है जो कांग्रेस को बिलकुल भा नही रहे है और कांग्रेस के खिलाफ है|
उनके चर्चित फ़ैसलों में से कुछ कड़े फैसले
- दिल्ली के निर्भया गैंगरेप के दोषियों की फांसी की सज़ा बरकरार रखना|
- चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी वाली वेबसाइटों को बैन करना |
- केरल के सबरीमाला मंदिर के द्वार महिला श्रद्धालुओं के लिए खोलने के आदेश|
- सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान अनिवार्य|
- एफ़आईआर की कॉपी 24 घंटों में वेबसाइट पर डालने के आदेश|
- आपराधिक मानहानि की संवैधानिकता बरकरार|
- साल 1993 के मुंबई धमाकों में दोषी ठहराए गए याकूब मेमन की फांसी बरकरार|
- उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार की प्रमोशन में आरक्षण की नीति पर रोक लगाना|
इसके साथ साथ दो बेहद महत्तवपूर्ण मुद्दे 1984 के सिख दंगो के केस फिर से खोले जाने का निर्णय और रामजन्म भूमि का मुकदमा भी न्यायाधीश दीपक मिश्रा देख रहे है जिन की वजह से कांग्रेस में खलबली मची हुई है और वो इसलिए दीपक मिश्रा को गलत ठहराने की कोशिश कर रही है तांकि वर्तमान समय में उनके अहित में अगर फैसला आता है तो इस का दोष मोदी सरकार के ऊपर मड़ा जा सके|
भारत का न्यायालय व उसके न्यायाधीश भी आज कांग्रेस के बिके हुए मीडिया की तर्ज पर ही न्याय के साथ तोड़ मरोड़ कर रहे है| ये केवल कांग्रेस की बोली बोल रहे है|
यहाँ तक की प्रेस कांफ्रेंस के तुरंत बाद ही जस्टिस जे चेलमेस्वर से CPI लीडर डी राजा को मिलते हुए देखा गया|अब आप खुद ही समझदार है ये सब किस और इशारा कर रहा है|
Justice Chelameswar, shaking hand with India hater D Raja. This is so revolting. pic.twitter.com/2yS7U8jv0w
— हम भारत के लोग (@India_Policy) January 12, 2018
इस विद्रोह ने एक संवैधानिक संकट खड़ा कर दिया है और मोदी सरकार को कड़ी चुनोती दी है|अब मोदी सरकार को कांग्रेस की इस गन्दी राजनीती का जवाब देकर उनके इस षड्यंत्र का पर्दाफाश करना होगा और आम जनता से मेरा अनुरोध है की कांग्रेस के इन षड्यंत्रों से भ्रमित न हो और मोदी सरकार और देश की न्यायपालिका पर भरोसा रखे|वे आपके हित में ही फैसला ले रहे है|
देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट
हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :
कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:
हमें ईमेल करें : [email protected]