सरकार तो योगी की लेकिन पुलिस पर दबदबा अखिलेश का

लखनऊ। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में वाराणसी में आशुतोष सिंह की गिरफ्तारी के बाद सबसे ज्यादा हैरतअंगेज बात यह सामने आई है कि प्रदेश में भले ही योगी आदित्य नाथ की सरकार हो, लेकिन पुलिस विभाग में थानास्तर तक के पुलिस कर्मचारियों की  कथित निष्ठा आज भी पिछली सरकार के प्रति बरकरार है। इसे प्रदेश में कानून और व्यवस्था की स्थिति में इन नौ महीनों के दौरान भी संतोषजनक सुधार न हो पाने की बडी खास वजह कही जा सकती है।

यही वजह है कि अदालत से गैरजमानती वारंट जारी होने के बावजूद, आरोपी आशुतोष सिंह के चेहरे पर शिकन नहीं आ सकी थी। वह आराम से इर जगह आता जाता था। यहां तक कि पुलिस वालों के साथ भी अक्सर बैठ कर गप्पे भी लडाया  करता था। बीएचयू के परिसर में तो वह रहता ही था। लेकिन, पुलिस ने उसे गिरफ्तार करने की जरूात नहीं समझी। यही वजह है कि उसका मनोबल बहुत बढा हुआ था। इससे वह पूरी तरह बेफिक्र होकर एक के बाद दूसरा अपराध करता जा रहा था।

यही वजह थी कि इसी बुधवार को जब उसने बीएचयू परिसर में केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के कर्मचारियों से जबरन रंगदारी वसूलने की कोशिश की, तो इसके विरोध में कर्मचारियोें ने काम बंद कर ऊपर के अधिकारियों से अपने जानमाल की रक्षा की गुहार लगायी। केंदीय लोक निर्माण विभाग के अधिशाषी अभियंता ने खुद थाना लंका में जाकर लिखित तहरीर दी। इस तहरीर में कहा गया है कि आरोपी आशुतोष सिंह और उसके साथी आधा दर्जन  ठेकदारों ने आये दिन जबरन रंगदारी वसूला करते हैं। इस बात की जानकारी पुलिस के आला अफसरों को भी  दी गयी। इसके बाद  उसे गिरफ्तार किया जा सका था।

आशुतोष सिंह की गिरफ्तारी के बाद अब पुलिस का भी कहना है कि पिछले साल इसके खिलाफ हत्या का प्रयास, बवाल आदि के अलावा अन्य गंभीर आरोपों में थाना लंका में मुकदमे दर्ज हुए हैं। इस साल भी इसके खिलाफ बलवा, लूठ, दलित उत्पीडन और आइ्रटी एकट के तहत छह मुकदमेे कायम हुए हैं। लेकिन, लगता है कि उसके सपाई होने से पुलिस उसकी गिरफ्तारी नहीं कर  पा रही  थी.

 

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