सेना ने नवाज शरीफ के पर कतरे, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सरताज अजीज को पद से हटाया

sartazतहलका एक्सप्रेस

नई दिल्ली। दुनिया को अपने न्यूक्लियर बम की आड़ में आंखें दिखाने वाली पाकिस्तानी सेना घबराई हुई है। भारत के सख्त रुख ने पाकिस्तानी सेना की नींद उड़ा रखी है। ऐसे में सेना ने पाकिस्तान सरकार पर अपना कंट्रोल बढ़ाना शुरू कर दिया है।

नतीजा ये कि प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की जिस अमेरिका यात्रा की महीनों से तैयारी हो रही थी। उससे ठीक पहले सेना ने उनके पर कतर दिए। नवाज के दाहिने हाथ माने जाने वाले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सरताज अजीज को पद से हटा दिया गया है। दलील ये दी जा रही है कि विदेश मंत्रालय संभाल रहे सरताज अजीज के पास पहले से काफी जिम्मेदारियां हैं।

इसलिए अब उनकी जगह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार होंगे लेफ्टिनेंट जनरल नसीर खान जांजुआ।  नसीर खान जांजुआ पिछले हफ्ते ही सेना से रिटायर हुए हैं। अब पाकिस्तान की सुरक्षा पॉलिसी नसीर खान ही तय करेंगे। भारत के साथ बातचीत की जिम्मेदारी भी नसीर खान की होगी।

नवाज शरीफ के अमेरिका दौरे में भी उनके साथ लेफ्टिनेंट जनरल नसीर खान होंगे। साथ में जो दूसरा अफसर होगा वो है आईएसआई चीफ रिजवान अखतर। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि पाकिस्तानी सेना ने नवाज की क्या हालत बना दी है।

ये सिर्फ पाकिस्तान में ही मुमकिन है कि प्रधानमंत्री के सबसे अहम विदेश दौरे से कुछ घंटे पहले बिना उनसे पूछे सेना प्रधानमंत्री के इतने करीबी अफसर को हटा दे। यही नहीं अब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद पर जिस अफसर को नियुक्त किया गया है वो सिर्फ और सिर्फ सेना का वफादार है, सरकार का नहीं।

लेफ्टिनेंट जनरल नसीर खान के मुकाबले सरताज अजीज की शायद यही कमजोरी रही है। वो कभी सेना में नहीं रहे, इसलिए पाकिस्तानी सेना कभी उन पर भरोसा नहीं कर सकती। जानकारों के मुताबिक पिछले डेढ़ साल में नवाज शरीफ और सेना में तल्खी लगातार बढ़ी है। तल्खी बढ़ने की जड़ में भी भारत ही है।

केंद्र सरकार की रणनीति और हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल की कूटनीति के आगे पाकिस्तान ने हर मौके पर मात खाई है। पाकिस्तान की सेना अब राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मोर्चों पर और पिटने से डरी हुई है।

सूत्रों के मुताबिक नवाज सरकार से सेना उस वक्त से नाराज है जब मई 2014 में जब नवाज पीएम मोदी के शपथग्रहण कार्यक्रम में आने के लिए तैयार हुए। उस वक्त, सेना ने आखिरी तक नवाज को दिल्ली आने की इजाजत नहीं दी थी। इसके बाद इस साल रूस के उफा में हुए समझौते में कश्मीर का जिक्र ना होना भी नवाज को भारी पड़ा।

पाकिस्तान लौटते ही नवाज शरीफ और सरताज अजीज दोनों के सुर बदल गए थे। नतीजा ये हुआ कि एनएसए स्तर की बातचीत हो ही नहीं पाई। वैसे भी नवाज शरीफ के साथ पाकिस्तानी सेना के रिश्ते अच्छे नहीं रहे हैं। पिछली बार जब 1999 में वो प्रधानमंत्री थे, तब सेना ने उनका तख्तापलट करते हुए उन्हें सत्ता से बेदखल करना पड़ा था।

मजबूरन नवाज को देश तक छोड़ना पड़ा था। बरसों तक पाकिस्तान से बाहर रहे नवाज सेना की इजाजत के बाद ही वापस लौट पाए थे। प्रधानमंत्री की अपनी इस पारी में नवाज शरीफ ने कई बार सेना से सामने घुटने टेके हैं। पिछले साल जब पाकिस्तान के लोग उनकी सरकार के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे थे तब सेना ने दखल दिया था। इस दखल के बाद ही नवाज की कुर्सी बच पाई।

सेना के एहसानों तले दबे नवाज शरीफ अब इतने बेबस हैं कि अपने पसंदीदा अफसर के हटने पर एक शब्द भी नहीं बोल पाए। सरताज अजीज को हटाकर पाकिस्तानी सेना ने भी तय कर दिया है कि भारत के साथ रिश्तों को लेकर आखिरी फैसला उसी का होगा। भारत का मुकाबला करने के लिए अब उसे अपने जनरल पर ही भरोसा बचा है।

आखिर क्यों घबराई हुई है पाकिस्तानी सेना,  आखिर क्यों बढ़ा रही है अपनी सियासी ताकत और क्या पाकिस्तान फिर तख्तापलट की तरफ बढ़ रहा है? इन तीनों सवालों के जवाब पाकिस्तान में बन रहे माहौल में छिपे हैं। हाल के दिनों में पाकिस्तान में सेना प्रमुख राहिल शरीफ ने अपना कद बहुत बढ़ा लिया है।

हालत ये है कि पाकिस्तान के कई शहरों में राहुल शरीफ के पोस्टर ऐसे लगाए जाते हैं जैसे वो कोई नेता हों। स्कूलों में, सरकारी दफ्तरों में राहिल शरीफ की तस्वीरों को प्रचारित किया जा रहा है। यहां तक की मीडिया को भी कहा जा रहा है कि सेना के खिलाफ कोई बयानबाजी ना दिखाई जाए। इस बीच सियासी हल्कों में नवाज की स्थिति लगातार कमजोर होती जा रही है।

नवाज शरीफ अपनी ही सरकार की नीतियों को लागू नहीं कर पा रहे है। पाक सेना के दबाव में भारत के साथ बातचीत के दौरान कश्मीर मुद्दा नहीं छोड़ पा रहे। कार्रवाई उन्हीं गुटों के खिलाफ हो रही है जिन्हें सेना निशाना बनाना चाहती है। भारत के खिलाफ काम कर रहे आतंकी गुटों पर नरमी बरती जा रही है।

अफगानिस्तान में हमले करने वाले तालिबानी गुटों पर कार्रवाई नहीं की जाती। हक्कानी नेटवर्क को हर तरह की मदद की जाती है। जाहिर है नवाज शरीफ जोखिम भरे फैसले लेने से डरे हुए हैं। उन्हें भी तख्तापलट होने की आशंका सता रही है।

तख्तापलट की इस आशंका के बीच सेना का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के तौर पर नसीर खान जांजुआ की नियुक्ति करना बड़ा कदम है। सेना को इस बात का भी ऐहसास है कि भारतीय एनएसए अजित डोभाल के मुकाबले सरताज अजीज कमजोर पड़ रहे थे।

अजित डोभाल वो हस्ती हैं जिनके पद संभालने के बाद से ही पाकिस्तानी फौज और सरकार घबराई हुई है। दुनिया के सबसे बड़े जासूसों में से एक और बेहद ही शातिर माने जाने वाले अजित डोभाल पाकिस्तान की रग-रग से वाकिफ हैं। पद संभालने के बाद पाकिस्तान को घेरने के लिए डोभाल ने जो चक्रव्यूह तैयार किया है। उसे भेदना आसान नहीं।

चाहे सीमा पर फायरिंग हो, जिंदा आतंकी नवेद का मामला हो, गुरदासपुर हमले में पाक के खिलाफ सबूत हो या फिर कश्मीर में आतंक को बढ़ावा। अजित डोभाल का जवाब देना आसान नहीं होगा। उफा में अजित डोभाल के चलते कैसे नवीज शरीफ और सरताज अजीज की जोड़ी ने मुंह की खाई। वो भी पाकिस्तानी सेना देख चुकी है। ऐसे में वो अब कोई और रिस्क नहीं लेना चाहती।

डोभाल को लेकर पाकिस्तानी सेना में समाया खौफ, पाकिस्तानी मीडिया में भी अक्सर नजर आता है। सरताज अजीज को हटाकर जनरल नसीर खान जांजुआ को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाने के पीछे एक वजह ये खौफ भी है। पाकिस्तानी सेना किसी भी मुद्दे पर भारत के सामने कमजोर नहीं दिखना चाहती।

पाकिस्तान के बलूचिस्तान और स्वात इलाके में सेना की कार्रवाइयों को बखूबी अंजाम देने वाले नसीर खान नेशनस डिफेंस यूनिवर्सिटी के मुखिया भी रह चुके हैं। स्थानीय मुद्दों के साथ ही अफगानिस्तान और भारत के साथ रिश्तों पर भी जांजुआ की नजर रही है। ऐसे में खौफ खाए पाकिस्तान को इस जनरल पर ही भरोसा करना पड़ रहा है।

 

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