अब हज यात्रियों को नहीं मिलेगी ‘सरकारी खैरात’, मोदी सरकार ने खत्‍म की सब्सिडी

नई दिल्ली। मंगलवार को मोदी सरकार ने एक और बड़ा फैसला ले लिया है। केंद्र की मोदी सरकार ने हज यात्रियों को मिलने वाली सब्सिडी को खत्‍म कर दिया है। यानी इस साल से अब हज यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं को सरकार की ओर से कोई रियायत नहीं मिलेगी। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने मंगलवार को इस बात की घोषणा की और बताया कि सरकार हज यात्रा पर दी जाने वाली रियायत को इसी साल से खत्‍म कर रही है। मुख्‍तार अब्‍बास नकवी का कहना है कि केंद्र सरकार की ओर से लिया गया ये फैसला बिना तुष्टीकरण के अल्पसंख्यकों को सशक्त करने के उसके एजेंडे का ही एक हिस्सा है। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हज यात्रियों के लिए बने नियम कायदों में भी बदलाव की बात कही थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुस्लिम महिलाओं को राहत देते हुए एलान किया था कि अब अकेली महिला भी हज की यात्रा पर जा सकती है। उसे रोका नहीं जाएगा।

हज यात्रा पर अकेली महिला को जाने की इजाजत देने के बाद अब केंद्र की मोदी सरकार ने हज यात्रियों को मिलने वाली सब्सिड़ी को खत्‍म करने का बड़ा फैसला लिया। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट भी हज यात्रियों को सरकार की ओर से मिलने वाली सब्सिडी को असंवैधानिक करार दे चुकी है। साल 2012 के एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हज यात्रियों को मिलने वाली सब्सिडी को धीरे-धीरे 2022 तक पूरी तरह खत्‍म किया जाए। हालांकि बताया जा रहा है कि खर्च बढ़ने पर अब केंद्र सरकार हज यात्रियों को समुद्र और हवाई सफर का भी विकल्‍प देगी। ताकि लोग अपनी सहूलियत के हिसाब से हज की यात्रा पर जा सकें। हज यात्रियों को दी जाने वाली सब्सिडी खत्‍म करने से सरकार को करीब 700 करोड़ रुपए की बचत होगी। लेकिन, सरकार का कहना है कि वो सब्सिडी के इस फंड का इस्‍तेमाल मुसलमानों के ही कल्‍याण में लगाया जाएगा।

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का कहना है कि हज सब्सिडी के फंड को मुस्लिम लड़कियों और महिलाओं की शिक्षा पर खर्च किया जाएगा। ताकि मुस्लिम महिलाओं को भी सशक्‍त बनाया जा सके। उनका कहना है कि हज यात्रियों को मिलने वाली सब्सिडी का फायदा सिर्फ दलाल लोग ही उठा रहे थे। सब्सिडी का पूरा पैसा एजेंट्स अपने पास रख लेते थे। इसलिए हज सब्सिडी को खत्‍म करने का ही फैसला ले लिया गया। मुख्‍तार अब्‍बास नकवी का कहना है कि गरीब मुसलमानों के लिए अलग से व्‍यवस्‍था की जाएगी। ताकि उन्‍हें हज यात्रा पर जाने में कोई दिक्‍कत ना हो। केंद्र सरकार अब तक हज यात्रा के लिए हर साल एक लाख 75 हजार हज यात्रियों को सब्सिडी देती थी। सरकार की ओर से हज सब्सिडी पर हर साल करीब 700 करोड़ रुपए का खर्च किया जाता था। लेकिन, अब इस पैसे को दूसरे मदों में खर्च किया जाएगा।

मुख्‍तार अब्‍बास नकवी का कहना है कि आजादी के बाद पहली बार ऐसा हो होगा जब भारतीय मुसलमान बिना सब्सिडी के हज यात्रा पर जाएंगे। उनका कहना है कि आने वाले दिनों में समुद्री यात्रा से भी हज यात्रा की शुरुआत की जाएगी। ताकि लोगों को राहत मिल सके। जहां एक ओर तमाम लोग मोदी सरकार के इस फैसले की तारीफ कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर माना जा रहा है कि इस पर सियासत भी शुरु हो सकती है। कुछ मुस्लिम संगठन इसका विरोध कर सकते हैं। इससे पहले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस बात का भी विरोध कर चुका है कि केंद्र सरकार बिना मेहर के अकेली महिला को हज पर जाने की इजाजत कैसे दे सकती है। उसका कहना था कि सरकार मुसलमानों के अधिकारों पर दखलंदाजी कर रही है। जो ठीक नहीं है। अब देखना होगा कि इस मसले पर मुस्लिम संगठनों का क्‍या रुख रहता है। वो सरकार के फैसले का विरोध करते हैं या फिर उसका स्‍वागत।

 

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