आज पहली बार पाकिस्‍तान की एक कोर्ट का फैसला सुनकर पुरे पाकिस्तान की तारीफ करने का मन हो रहा है जनाब, भर दिए जैनब के जख्‍म

पाकिस्‍तान को हम उसकी हरकतों की वजह से जानते हैं। वो आतंकवाद को बढ़ावा देता है। कश्‍मीर में खून-खराबा कराता है। नियंत्रण रेखा पर फायरिंग कर आतंकियों की घुसपैठ कराता है। इन सारे मामलों में पाकिस्‍तान की जितनी आलोचना हो कम है। लेकिन, हमारे भीतर भी सही को सही और गलत को गलत कहने की हिम्‍मत है। पाकिस्‍तान की एक अदालत ने साबित कर दिया है कि अगर इच्‍छा शक्ति हो तो इंसाफ में देरी नहीं हो सकती है। मासूम जैनब के केस में पाकिस्‍तान की अदालत ने वो कर दिखाया है जो आज तक भारत नहीं कर पाया। जैनब के केस में शुरुआत से ही पाकिस्‍तान ने जो रुख अख्तियार किया था वो वाकई काबिले तारीफ है। हम पहले ही कह चुके हैं कि हम सही को सही और गलत को गलत कहने की हिम्‍मत रखते हैं। यही वजह है कि मासूम जैनब के केस को लेकर आज हम पाकिस्‍तान की तारीफ कर रहे हैं।

दरसअल, नौ जनवरी को पाकिस्‍तान में छह साल की एक मासूम बच्‍ची का शव मिला था। जांच की गई तो पता चला कि बच्‍ची का नाम जैनब है। जो चार जनवरी से लापता थी। चार जनवरी को वो ट्यूशन पढ़ने अपने घर से निकली थी लेकिन, उसके बाद वो कभी घर नहीं लौटी। छह साल की इस बच्‍ची के साथ बलात्‍कार कर उसकी हत्‍या कर दी गई थी। जैसे ही जैनब कांड का खुलासा हुआ पूरा का पूरा पाकिस्‍तान हिल गया। पहली बार पाकिस्‍तान में किसी ऐसे मामले पर गुस्‍सा देखने को मिला था। अप्रत्‍याशित तरीके से लोग इस केस के खिलाफ सड़कों पर उतर आए थे। टीवी एंकर्स ने अपनी बच्चियों के साथ बुलेटिन करना शुरु कर दिया था। पाकिस्‍तान की सरकार और पुलिस पर आरोपी को पकड़ने का दवाब बढ़ता ही जा रहा था। एक अनजान और बिना पहचान वाले आरोपी की धरपकड़ के लिए कई टीमों का गठन किर दिया गया। आखिरकार 23 जनवरी को जैनब का हत्‍यारा पुलिस गिरफ्तार में आ ही गया।

महज डेढ़ महीने के भीतर पाकिस्‍तान की आतंकरोधी अदालत ने इस केस में अपना फैसला भी सुना दिया। मासूम जैनब के साथ बलात्‍कार करने और उसकी हत्‍या के मुख्‍य आरोपी इमरान समेत चार लोगों को सजा-ए-मौत दे दी गई है। इसके साथ ही अलग-अलग धाराओं और केस में आरोपियों को उम्र कैद, सात साल की कैद और बीस लाख रुपए का जुर्माना भी ठोंका गया है। वाकई पाकिस्‍तान का ये केस मिसाल बन गया है। भारत को भी इस मामले में निसंकोच होकर पाकिस्‍तान से सीख लेनी चाहिए। भारत में ना जाने कितनी जैनब हैं। जिन्‍हें निर्भया का दर्द दिया जाता है। लेकिन, सालों गुजर जाते हैं उन्‍हें इंसाफ तक नहीं मिल पाता। लेकिन, पाकिस्‍तान ने साबित कर दिया है कि ऐसे में मामलों में जल्‍दबाजी दिखाई जा सकती है। तेजी लाई जा सकती है। अगर मासूम जिदंगियों के लूटेरे और हत्‍यारों को यूं ही फटाफट सजा-ए-मौत होगी तो यकीनन कोई भी इमरान बनने की हिम्‍मत नहीं जुटा पाएगा।

पाकिस्‍तान में जैनब केस में ये एतिहासिक फैसला लखपत कोर्ट के जज ने दिया। जिन्‍होंने लाहौर की सेंट्रल जेल के भीतर ये कड़ा फैसला सुनाया। अदालत ने इमरान अली को जैनब समेत चार मौत का गुनाहगार माना। उसकी सजा का एलान अपहरण, बलात्‍कार, हत्‍या और एंटी टेरररिज्म की धारा-7 के तहत आतंक की गतिविधि के लिए सुनाई। उम्र कैद और दस लाख रुपये का जुर्माना अप्राकृतिक सेक्स के लिए लगाया गया। जबकि सात साल की कैद और दस लाख का जुर्माना जैनब की डेडबॉडी को कूढे के ढेर में छुपाने के लिए लगाया गया। इमरान के पास लोअर कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने के लिए 15 दिन का वक्‍त है। जैसे दिल्‍ली में निर्भया कांड एक आंदोलन बन गया था उसी तरह से जैनब ने पाकिस्‍तान में एक आंदोलन का रुप ले लिया था। पंजाब प्रांत की इस दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे के पूरे पाकिस्‍तान में उबाल पैदा कर दिया था। इस केस को लेकर पाकिस्‍तान में जमकर हिंसा भी हुई थी। लेकिन, अदालत ने डेढ़ महीने के भीतर ही जैनब के परिवारवालों को संपूर्ण इंसाफ दे दिया है। अदालत के फैसले से मासूम जैनब की आत्‍मा को शांति जरूर मिलेगी। काश हिंदुस्‍तान में भी ऐसी मिसाले कायम हो पाती।

 

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