उत्तर प्रदेश सरकार का पूर्ण बजट पेश: पहलीबार पूर्वांचल के लिए दिल खोलकर खोला खजाना

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने विधानसभा में आज अपना पूर्ण बजट पेश किया. बजट में चौतरफा विकास पर  जोर है, पर सबसे ज्यादा ध्यान सीएम योगी आदित्यनाथ ने पूर्वांचल पर दिया है. बता दें कि वे खुद गोरखपुर से आते हैं, इसलिए पूर्वी उत्तर प्रदेश पर फोकस ज्यादा है. हालांकि, बजट में बुंदेलखंड को लेकर भी कई घोषणाएं की गई हैं, जो चर्चा में हैं. आइए, समझें पूर्वांचल को लेकर यूपी सरकार की घोषणाओं के मायने और इसका 2019 से क्या कनेक्शन है…

1- होती रही है पूर्वांचल की अनदेखी

अब तक आरोप लगता रहा है कि प्रदेश में चाहे जिस किसी भी पार्टी की सरकार रही हो, उनके केंद्र में पूर्वांचल का विकास नहीं होता है. इस लिहाज से अगर यूपी सरकार के पूर्ण बजट को देखा जाए तो इससे साफ होता है कि बजट में पूर्वी उत्तर प्रदेश की इस शिकायत को दूर करने की कोशिश की गई है. बता दें कि बीजेपी यहां लगातार चुनावों में अच्छा प्रदर्शन कर रही है, इसलिए यहां विकास करना बीजेपी के लिए अहम हो गया है.

2- पूर्वांचल के लिए कई घोषणाएं

बजट में गोरखपुर मॉर्डन ऑडोटोरियम के लिए 29 करोड़ 50 लाख रुपये, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस के लिए 550 करोड़ रुपये, पूर्वांचल एक्सप्रेस के लिए एक हज़ार करोड़, हथकरघा और हैंडलूम के लिए 50 करोड़, बुनकरों को रियायती दर पर बिजली के लिए 150 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. बजट में इस प्रस्तावित आवंटन को चुनावी पैकेज कहा जा रहा है. जाहिर है बीजेपी सरकार ने 2019 में होने वाले आम चुनावों को देखते हुए बजट में इस तरह के आवंटन किए हैं. पूर्वांचल में बुनियादी ढांचे के लिहाज से काफी पीछे है, ऐसे में इस आवंटन से यह कमी दूर की जा सकती है.

3- बीजेपी के लिए पूर्वांचल अहम क्यों?

क्षेत्र के लिहाज से देखा जाए तो पूर्वांचल के 27 जिलों के 141 सीटों में से 111 पर बीजेपी ने पिछले विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की थी, जबकि सपा को 14 और बसपा को 12 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था। कांग्रेस के खाते में सिर्फ तीन सीटें आ पाई थीं और तीन सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी. पूर्वांचल के 10 जिलों में तो सिर्फ और सिर्फ बीजेपी का ही डंका बजा था. बस्ती और वाराणसी की सभी सीटों पर बीजेपी ही विजेता रही थी. फैजाबाद, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, सोनभद्र, मिर्जापुर, संतकबीरनगर, गोंडा और काफी हद तक देवरिया में भी यही तस्वीर दिखी थी जहां बीजेपी को जीत हासिल हुई थी.

4- पिछड़े पूर्वांचल में विकास का अवसर

देवरिया जिले के सलेमपुर विधानसभा पर सपा ने जीत हासिल की थी। यह भी आश्चर्यजनक बात है कि प्रदेश को 11 मुख्यमंत्री देने वाला यूपी का यह क्षेत्र हर लिहाज से काफी पिछड़ा हुआ है। जाहिर है कि मौजूदा उत्तर प्रदेश सरकार ने अगर अपने पूर्ण बजट में बुंदेलखंड के साथ पूर्वांचल पर फोकस करने की कोशिश की है तो कहीं न कहीं इस इलाके से बीजेपी को मिले जनादेश का उस पर दबाव रहा है.

5- 2014 के लोकसभा परिणाम दोहराने का दबाव

बीजेपी सरकार ने यदि अपने बजट में पूर्वांचल पर जोर दिया तो इसकी एक वजह आगामी आम चुनाव भी है. पिछले लोकसभा चुनाव में गोरखपुर और बस्ती मंडल की सभी नौ सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी, जबकि 2009 के आम चुनावों में बसपा ने देवरिया, सलेमपुर, संतकबीरनगर, बस्ती सहित चार सीटों पर कब्जा जमाया था.

बताते चलें कि 2014 के आम चुनावों के दौरान बीजेपी नीत एनडीए सरकार के दौरान पू्र्वांचल की अनदेखी का आरोप लगा था, लेकिन इसके बावजूद मोदी लहर में मतदाताओं ने भगवा पार्टी का साथ दिया था. यूपी सरकार के बजट से साफ है कि बीजेपी पूर्वांचल की जनता की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती है.

 

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