कुलदीप यादव ने कहा, शेन वॉर्न से सीखा था फ्लिपर, वॉर्नर का किया शिकार

धर्मशाला। धर्मशाला टेस्ट में डेविड वॉर्नर समेत ऑस्ट्रेलिया के चार अहम विकेट झटकने वाले भारत के पहले चाइनामैन बोलर कुलदीप यादव ने अपनी इस करिश्माई बोलिंग का खुलासा किया है। मैच के बाद कुलदीप ने बताया कि महान गेंदबाज शेन वॉर्न ने उन्हें जो फ्लिपर गेंद डालनी सिखाई थी, उसी से उन्होंने डेविड वॉर्नर के रूप में अपना पहला टेस्ट विकेट हासिल किया।

पुणे में टेस्ट सीरीज शुरू होने से पहले मुख्य कोच अनिल कुंबले एक सेशन के लिए कुलदीप को वॉर्न के पास ले गए और इसका अब फल मिला। बता दें कि टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया को पहली पारी में 300 रन पर समेटने में सफल रही, जिसमें यादव की बोलिंग का अहम योगदान रहा।

 यह पूछने पर कि उन्हें वॉर्न से किस तरह के गुर सीखने को मिले तो 22 वर्षीय कुलदीप ने कहा, ‘क्या आपने पहला विकेट (वार्नर) देखा? यह चाइनामैन गेंद नहीं थी। यह फ्लिपर थी, जो मैंने शेन वॉर्न से सीखी थी। इसलिए वॉर्न से सीखकर उनके देश के खिलाड़ी को ही आउट करना शानदार अहसास है।’ कुलदीप के लिए वॉर्न से मिलना और उनसे स्पिन गेंदबाजी सीखना सपने का साकार होना था।

उन्होंने कहा, ‘शेन वॉर्न मेरे आदर्श हैं और मैंने बचपन से ही उनका मुरीद रहा हूं। मैंने एक बार उनका विडियो देखा था और जब मैं उनसे मिला तो यह सपने का साकार होना था। मैं विश्वास ही नहीं कर सका कि मैं अपने आदर्श से बात कर रहा था और गेंदबाजी पर विचार साझा कर रहा था। मैंने वही किया जो वॉर्न ने मुझे करने को कहा था। उन्होंने वादा किया था कि वह निकट भविष्य में मेरे साथ एक और सेशन करेंगे।’


दिन का खेल खत्म होने के बाद कुलदीप ने कहा, ‘मैं बेहद खुश हूं। यह मेरा सपना सच होने जैसा है। एक टेस्ट मैच में आप इससे ज्यादा कुछ और नहीं मांग सकते।’ कानपुर निवासी कुलदीप ने कहा कि वह मैच से पहले थोड़ा घबराए हुए थे, लेकिन जब कार्यवाहक कप्तान अजिंक्य रहाणे ने उन्हें गेंद सौंपी तो उन्हें आत्मविश्वास मिला।

उन्होंने कहा, ‘शुरुआत में मैं जब फाइन लेग पर खड़ा था तो घबराया हुआ था, लेकिन इसके बाद मेरे लिए सबकुछ सामान्य हो गया। मैंने अपनी फिटनेस पर काम किया, जिससे मुझे गेंदबाजी में मदद मिली।’हिमाचल प्रदेश क्रिकेट संघ (एचपीसीए)की पिच के बारे में पूछने पर कुलदीप ने कहा, ‘पिच बल्लेबाजी करने के लिए अच्छी थी। विकेट पर ज्यादा स्पिन नहीं थी, हां स्पिनरों को थोड़ी बहुत मदद मिल रही थी। मैंने विकेट पर ही गेंद रखी और विविधता के साथ गेंदबाजी की।’

 

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