भारत के संविधान के मूल प्रस्तावना में ‘सेक्यूलर’ शब्द था ही नहीं, कांग्रेस ने इस शब्द को जबरन संविधान में डाला था

क्या आपको पता है कि भारत के संविधान के मूल प्रस्तावना यानी कि Preamble में सेक्यूलर शब्द था ही नहीं। सेक्यूलर शब्द तो कांग्रेस द्वारा उछाला गया नाम था जिसे जबरन हमारे देश के संविधान के प्रस्तावना में जोड़ा गया था। 1950 में जब पहली बार संविधान की प्रस्तावना लिखी गयी तब उसमें Socialist और Secular जैसे शब्द का उपयॊग था ही नहीं। सोशलिस्ट का अर्थ है समाजवादी और सेक्यूलर का अर्थ है धर्म निरपेक्ष। ये दोनों शब्द संविधान के मूल प्रस्तावना में नहीं थे।

इन दोनों शब्दों को कांग्रेस की ‘हिटलर दीदी’ इंदिरा गांधी ने आपातकाल के दौरान संविधान के प्रस्तावना में जोड़ दिया था। 1976 में जब देश में आपातकाल थोपा गया था तब संविधान के 42 वें संशोधन में इन शब्दों को इंदिरा गांधी के कार्य काल में जोड़ा गया था। संविधान की प्रस्तावना को उसकी आत्मा माना जाता है। उसी आत्मा में छेद करके हिटलर दीदी ने मूल प्रस्तावना को ही बदलकर अपने इच्छानुसार अपने मर्जी से शब्द जोड़ दिया।

धर्म निरपेक्षता का अर्थ है हर एक व्यक्ति को अपने धर्म चुनने और उसकी उपासना की आज़ादी है लेकिन आज हालात ऐसे है कि हिन्दुओं के घर में जलाए जानेवाले अगरबत्ती और त्यॊहारॊं में फोड़नेवाले पटाकों में वायु प्रदूषण, मंदिर के घंटियों में ध्वनि प्रदूषण, अमरनाथ यात्रियों के उद्घॊष से पर्यावरण को हानि, हॊली के रंग से त्वचा को नुकसान और पानी की बरबादी, भगवा रंग में आतंकवाद नज़र आ रहा है। हिन्दू त्यॊहारॊं और आचरणॊं पर एक एक कर प्रतिबंद लगाया जा रहा है। क्या इसी धर्म निरपेक्षता की बात संविधान करता है जिसे कांग्रेस के ही आला कमान ने जोड़ा था?

जब संशोधन द्वारा संविधान के प्रस्तावना में कुछ जोड़ा जा सकता है तो देश के विकास के लिए आरक्षण के अभिशाप को निकाला भी जा सकता है। लेकिन कांग्रेस यह कभी होने नहीं देगी। 1950 से लेकर 2017 तक कुल 101 बार संविधान में संशोधन किया गया है। संविधान में सबसे ज्यादा संशॊधन कांग्रेस के कार्यकाल में हुआ है और वह भी अपने राजनैतिक लाभ के लिए किया गया है। तब उसको संविधान शिल्पी अंबेडकर जी का ध्यान नहीं आया कि कांग्रेस उनका अपमान कर रही है। अंबेडकर जी का अपमान अगर किसी ने किया है तो उनकी अपनी पार्टी के नेताओं ने किया है।

खुद को संविधान और देश से बड़ा समझने का अहंकार सिर्फ कांग्रेस में है। आज अगर संविधान के मूल उद्देश के विरुद्द किसी एक धर्म के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाकर दूसरे धर्म के लोगों का तुष्टिकरण करना ही धर्म निरपेक्षता है तो इसे बदल देना चाहिए। क्यों कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो वह संविधान का अपमान होगा और उसके आशयों का अपमान होगा। क्या कांग्रेस ऐसा होने देगी? क्या वह अपना मुस्लिम तुष्टीकरण और हिन्दू संहार को  छोड़ने के लिए तयार होगी। अब तो कांग्रेस का शहज़ादा भी मंदिर के दरवाज़े पर माथा टेक रहा है तो इन्हे इस बात से कॊई आपत्ति नहीं होगी की देश में हिन्दुओं के हित में निर्णय लिया जाए।

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि संविधान सभा के गठन के बाद सभा में लंबी बहस के वावजूद भी मूल संविधान में ‘धर्म निरपेक्षता’ शब्द को जगह नहीं दी गयी थी| कृपा करके मोहनदास करम चन्द्र गांधी (गांधी जी की जीवनी.. धनंजय कौर), सरदार वल्लभ भाई पटेल (संविधान सभा में दिए गए उनके भाषण) और बाबा साहब भीम राव अंबेडकर (डा अंबेडकर सम्पूर्ण वाग्मय, खण्ड 151) के इस्लाम पर व्यक्त किये गए उनके विचार पढ़ लें तो आपको पता चल जाएगा कि ‘धर्मनिरपेक्षता’ शब्द को संविधान में वो क्यों रखने के पक्ष में नहीं थे और इस शब्द को वो कितना घातक समझते थे।

सरदार वल्लभ भाई पटेल (संविधान सभा में दिए गए भाषण का सार): “ऎसा कोई अन्य मजहब नहीं जिसने इतना अधिक रक्तपात किया हो और अन्य के लिए इतना क्रूर हो। इनके अनुसार जो कुरान को नहीं मानता कत्ल कर दिया जाना चाहिए। उसको मारना उस पर दया करना है। जन्नत ( जहां हूरे और अन्य सभी प्रकार की विलासिता सामग्री है) पाने का निश्चित तरीका गैर ईमान वालों को मारना है। इस्लाम द्वारा किया गया रक्तपात इसी विश्वास के कारण हुआ है”।

बाबा साहब भीम राव अंबेडकर ( प्रमाण सार डा अंबेडकर सम्पूर्ण वाग्मय, खण्ड 151): “पाकिस्तान बनने के पश्चात जो मुसलमान भारत में रह गए हैं क्या उनकी हिन्दुओं के प्रति शत्रुता, उनकी हत्या, लूट दंगे, आगजनी, बलात्कार, आदि पुरानी मानसिकता बदल गयी है ऐसा विश्वास करना आत्मघाती होगा। पाकिस्तान बनने के पश्चात हिन्दुओं के प्रति मुस्लिम खतरा सैकड़ों गुणा बड़ गया है। पाकिस्तान और बांग्लादेश से घुसपैठ बड़ गयी है। दिल्ली से लेकर रामपुर और लखनउ तक मुसलमान खतरनाक हथियारों की जमाखोरी कर रहे हैं तांकि पाकिस्तान द्वारा भारत पर आक्रमण करने पर वे अपने भाइयों की सहायता कर सके। अनेक भारतीय मुसलमान ट्रांसमीटर के द्वारा पाकिस्तान के साथ लगातार सम्पर्क में हैं। सरकारी पदों पर आसीन मुसलमान भी राष्ट्र विरोधी गोष्ठियों में भाषण देते है । यदि यहां उनके हितों को सुरक्षित नहीं रखा गया तो वे सशस्त्र क्रांति पे खड़े होंगें”।

मोहनदास करम चन्द्र गांधी (गांधी जी की जीवनी, धनंजय कौर पृष्ठ 402 व मुस्लिम राजनीति श्री पुरूषोत्तम योग): “मुस्लिम कानून और मुस्लिम इतिहास को पढ़ने के पश्चात मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि उनका मजहब उनके अच्छे मार्ग में एक रुकावट है। मुसलमान जनतांत्रिक आधार पर हिन्दुस्तान पर शासन चलाने हेतु हिन्दुओं के साथ एक नहीं हो सकते। क्या कोई मुसलमान कुरान के विपरीत जा सकता है? हिन्दुओं के विरूद्ध कुरान और हदीस की निषेधाज्ञा क्या हमें एक होने देगी? मुझे डर है कि हिन्दुस्तान के 7 करोड़ मुसलमान अफगानिस्तान, मध्य एशिया अरब, मैसोपोटामिया और तुर्की के हथियारबंद गिरोह मिलकर अप्रत्याशित स्थिति पैदा कर देंगें”।

जिस शब्द को भारत के संविधान के महामहिम और आज़ादी के महानायकों ने घातक समझ कर प्रस्तावना में जोड़ने से मना कर दिया उसी शब्द को कांग्रेस ने जबरन जोड़ दिया और भारत के हिन्दुओं को बरबाद कर दिया। सनातन धर्म में सदियों से ही धर्म निरपेक्षता का पालन होता आया है। सनातन धर्म ने पूरे विश्व को ही अपना कुटुम्ब माना है और दुनिया के सभी लोग सुखी हों, सभी लोग रोगमुक्त रहें और सभी लोग मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें, और किसी व्यक्ति को भी दुःख का भागी न बनना पड़े ऐसी भावना प्रकट करी है। लेकिन सनातन धर्म के साथ उसके मान्याताओं के साथ और उसके अनुयायियों के साथ संविधान के आढ़ में बर्बरता होती आयी है।

तथाकथित धर्म निरपेक्ष देश में आज हिन्दू सुरक्षित नहीं है। निरंतर हिन्दुओं पर अन्याय और अत्याचार हो रहा है। हिन्दुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाकर उन्हे उकसाया जा रहा है। जब अन्याय के विरुद्द हिन्दु आवाज़ उठाते हैं तो सेक्यूलरिस्म खतरे में आ जाती है और गली मुहल्ले से भगवा आतंकवाद, हिन्दु असहिष्णुता का भाषण देनेवाले सेक्यूलर कुत्ते भौंकने लगते हैं। इन कुत्तों को यह पता नहीं है की जब इस्लामी आतंकवादी इन के घर में दस्तक देंगे तब अपनी जान की परवाह न करते हुए इन्हें बचानेवाला भगवा ही हॊगा। शत्रुओं की भी सहायता करने का गुण अगर किसी में है तो वह भगवा में है और किसी में नहीं।

 

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