आखिर क्यों धनतेरस के दिन सोना-चांदी खरीदना माना जाता है शुभ

दुनिया भर के लोग इन दिनों दिवालीका इंतजार कर रहे हैं। बाजार गुलजार और घरों में जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं।

दुनिया भर के लोग इन दिनों दिवालीका इंतजार कर रहे हैं। बाजार गुलजार और घरों में जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं। अपने करीबियों के लिए लोग इन दिनों गिफ्ट्स और मिठाइयां खरीदते दिख रहे हैं। दिवाली का पर्व धनतेरस से शुरू होता है। दो दिन बाद ही कुबेर भगवान का त्यौहार धनतेरस है। इस बार शुक्रवार यानी कि 13 नवंबर को धनतेरस का त्यौहार है। धनतेरस दो शब्दों से मिलकर बना है धन + तेरस इसका अर्थ है धन।

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धनतेरस के दिन सोना-चांदी खरीदना होता है शुभ-
पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी लक्ष्मी की तरह ही भगवान धन्वंतरि भी समुद्र मंथन से उत्पन्न हुए थे। भगवान धन्वंतरि के हाथ में अमृत कलश था, इसलिए इस दिन बर्तन खरीदने की परंपरा है। धनतेरस के दिन लोग सोना-चांदी भी खरीदते हैं। मान्यता है कि धनतेरस पर यह खरीदना शुभ होता है।

धनतेरस से जुड़ी पढ़ें ये एक पौराणिक कथा-
एक पौराणिक कथा के अनुसार, धनतेरस हिम नाम के एक राजा के बेटे के श्राप से संबंधित है। कहते हैं कि राजा हिम के बेटे को श्राप था कि शादी के चौथे दिन ही उसकी मृत्यु हो जाएगी। जब इस बात की जानकारी राजकुमार की पत्नी को हुई तो उसने एक योजना बनाई। उसने पति से शादी के चौथे दिन जगे रहने के लिए कहा। पति कही सो न जाएं इसके लिए वह लगातार गीत-कहानियां सुनाती रही। उसके बाद उसने दरवाजे पर सोने-चांदी और कई बहुमूल्य वस्तुएं भी रख दीं। घर के आसपास दीपक भी जलाएं। यम सांप के रूप में राजा हिम के बेटे की जान लेने के लिए आए और गहनों और दीपक की चमक से अंधे हो गए। वह घर में प्रवेश नहीं कर सके। वह गहनों के ढेर पर ही बैठे रहे और गीतों को सुनते रहे। सुबह होने पर यमराज राजकुमार की जान लिए बिना ही चले गए, क्योंकि राजकुमार के मृत्यु की घड़ी बीत चुकी थी।

 

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