NRHM scam: दवा ही नहीं, पीने के पानी में भी जमकर हुई कमीशनखोरी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘पर्दाफाश’ शुरू से ही लोगों को बेनकाब करने की कोशिश कर रहा है। खासकर अगर हम बात करें परिवार कल्याण विभाग में फैले भ्रष्टाचार के बारे में तो पर्दाफाश शुरू से ही दिन-प्रतिदिन नए खुलासे कर इन्हें बेनकाब करने की कोशिश में लगा हुआ है| हजारों करोड़ के बहुचर्चित राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) प्रकरण में दवा और उपकरणों में ही नहीं घोटाला हुआ, बल्कि अस्पतालों में पीने के साफ पानी को लगाए गए आरओ सिस्टम में भी जमकर कमीशनखोरी हुई है|
सूत्रों की माने तो केंद्रीय जाँच एजेंसी (सीबीआई) इस मामले में अपनी जांच अब तेज कर दी है। इस मामले में जांच एजेंसी आईएएस प्रदीप शुक्ला और पूर्व कैबिनेट मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा के खिलाफ चार्जशीट अदालत में पेश कर सकती है| पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा और सीनियर आईएएस प्रदीप शुक्ला के खिलाफ एनआरएचएम घोटाले से जुडे़ मामले पहले से ही सीबीआई कोर्ट में विचाराधीन हैं। प्रदीप शुक्ला फिलहाल जमानत पर हैँ, जबकि बाबू सिंह कुशवाहा डासना जेल में बंद हैं। जल्द ही इन दोनों के खिलाफ सीबीआई कोर्ट में एक नई चार्जशीट पेश करने जा रही है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) योजना के तहत उत्तर प्रदेश को छह साल में 8657.35 करोड़ रुपये मिले, लेकिन अधिकारियों व चिकित्सकों ने इसमें पांच हजार करोड़ रुपये का घोटाला कर दिया। इसका खुलासा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में हुआ। यूपी सरकार की नाक के नीचे हुए इस घोटाले की जांच का काम सीबीआई को सौंपे जाने के बाद मंत्री, राजनेता व वरिष्ठ अधिकारियों के नाम सामने आए।
इस घोटाले में तीन सीएमओ समेत सात लोगों की जान जा चुकी है। कैग की रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल 2005 से मार्च 2011 तक एनआरएचएम में लोगों की सेहत सुधार के लिए 8657.35 करोड़ रुपये मिले, जिसमें से 4938 करोड़ रुपये नियमों की अनदेखी कर खर्च किए गए। करीब तीन सौ पेज की रिपोर्ट में लिखा गया है कि एनआरएचएम में 1085 करोड़ रुपये का भुगतान बिना किसी के हस्ताक्षर ही कर दिया गया। बिना करार के ही 1170 करोड़ रुपये का ठेका चंद चहेते लोगों को दिया गया।
निर्माण एवं खरीद संबंधी धनराशि को खर्च करने के आदेश जारी करने में सुप्रीम कोर्ट एवं सीवीसी के निर्देशों का पालन नहीं किया गया। 23 जिलों की सीएजी जांच के दौरान एनआरएचएम में मिली धनराशि के खर्च का लेखा-जोखा तैयार करने के दौरान सच्चाई सामने आई।
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